विधि कार्य विभाग
1. कार्य और संगठन
1.1 भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियम, 1961 के अनुसार इस विभाग को निम्नलिखित कार्य-मदों का आबंटन किया गया है:-
1. विधिक मामलों में मंत्रालयों को सलाह देना, जिसके अंतर्गत संविधान और विधियों का निर्वचन, हस्तांतरण-लेखन और उच्च न्यायालयों तथा अधीनस्थ न्यायालयों में उन मामलों में, जिनमें भारत संघ एक पक्षकार है, भारत संघ की ओर से उपसंजात होने के लिए काउंसल नियोजित करना।
2. भारत के महान्यायवादी, भारत के महासालिसिटर और राज्यों की बाबत केन्द्रीय सरकार के अन्य विधि अधिकारी, जिनकी सेवाओं का उपयोग भारत सरकार के मंत्रालयों द्वारा समान रूप से किया जाता है।
3. केन्द्रीय सरकार की ओर से और केन्द्रीय अभिकरण स्कीम में भाग लेने वाली राज्य सरकारों की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में मामलों का संचालन करना।
4. सिविल वादों में समनों की तामील, सिविल न्यायालयों की डिक्री के निष्पादन, भरण-पोषण के आदेशों के प्रवर्तन और भारत में मृत विदेशी व्यक्तियों की संपदाओं के प्रशासन के लिए विदेशों के साथ पारस्परिक प्रबंध।
5. भारत के संविधान के अनुच्छेद 299(1) के अधीन राष्ट्रपति की ओर से संविदाओं और संपत्ति के हस्तांतरण-पत्रों के निष्पादन के लिए अधिकारियों को प्राधिकृत करना तथा केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके विरूद्ध किये गये वादों में वाद-पत्रों या लिखित कथनों पर हस्ताक्षर करने और उन्हें सत्यापित करने के लिए अधिकारियों को प्राधिकृत करना।
6. भारतीय विधि सेवा।
7. सिविल विधि के मामलों में विदेशों के साथ संधि और करार करना।
8. विधि आयोग।
9. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (1961 का 25) सहित विधि व्यवसाय और उच्च न्यायालयों के समक्ष विधि व्यवसाय करने के हकदार व्यक्ति।
10. उच्चतम न्यायालय के क्षेत्राधिकार को बढ़ाना तथा उसे और अधिक शक्तियां प्रदान करना; उच्चतम न्यायालय के समक्ष विधि व्यवसाय करने के हकदार व्यक्ति; भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देश।
11. नोटरी अधिनियम, 1952 (1952 का 53) का प्रशासन।
12. आयकर अपीलीय अधिकरण।
विभाग को निम्नलिखित अधिनियमों के प्रशासन का कार्य भी आबंटित किया गया है:-
(क) अधिवक्ता अधिनियम, 1961
(ख) नोटरी अधिनियम, 1952
(ग) अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001;
इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 और नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र, अधिनियम 2019 को भी प्रशासित किया जा रहा है।
1.2. यह विभाग आयकर अपीलीय अधिकरण और भारत के विधि आयोग का प्रशासनिक प्रभारी भी है। यह विभाग भारतीय विधि सेवा से संबंधित सभी विषयों से भी प्रशासनिक रूप से संबद्ध है। इसके अतिरिक्त, यह विधि अधिकारियों अर्थात भारत के महान्यायवादी, भारत के महासालिसिटर और भारत के अपर महासालिसिटरों की नियुक्तियों से भी संबद्ध है। विधि के क्षेत्र में अध्ययन और शोध को बढ़ावा देने और विधि व्यवसाय में सुधार करने के लिए यह विभाग इन क्षेत्रों से जुड़े संगठनों जैसे कि भारतीय विधि संस्थान को सहायता अनुदान देता है।
2. संगठनात्मक ढांचा
विधि कार्य विभाग की व्यवस्था दो सोपानों में है, अर्थात् नई दिल्ली स्थित मुख्य सचिवालय और मुम्बई, कोलकाता, चेन्नै और बंगलूरु स्थित शाखा सचिवालय। कार्य की प्रकृति के हिसाब से इसके कार्यों को मोटे तौर पर दो क्षेत्रों में बांटा जा सकता है- सलाह कार्य और मुकदमा कार्य।
मुख्य सचिवालय:
i. मुख्य सचिवालय में अधिकारियों की जो व्यवस्था है, उसके अन्तर्गत विधि सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार तथा विभिन्न स्तरों पर अन्य विधि सलाहकार हैं। विधिक सलाह देने और हस्तांतरण-लेखन से संबंधित कार्य को अधिकारियों के समूहों में विभाजित किया गया है। साधारणत: प्रत्येक समूह का प्रधान एक अपर सचिव या संयुक्त सचिव या संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार होता है, जिसकी सहायता के लिए विभिन्न स्तरों पर अन्य विधि सलाहकार होते हैं।
ii. उच्चतम न्यायालय में भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों और कुछ संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों की ओर से मुकदमा-कार्य का संचालन केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय अपर सचिव रैंक के एक अधिकारी हैं और उनकी सहायता के लिए भारतीय विधि सेवा के सरकारी अधिवक्ता संवर्ग के अधिकारी और अन्य सहायक कर्मचारी हैं।
iii. दिल्ली उच्च न्यायालय और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान पीठ) में भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से मुकदमों के संबंध में कार्रवाई मुकदमा (उच्च न्यायालय) अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय एक उप विधि सलाहकार हैं।
iv. दिल्ली स्थित अधीनस्थ न्यायालयों में मुकदमा संबंधी कार्य की देखभाल मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग करता है, जिसके प्रधान इस समय एक सहायक विधि सलाहकार हैं।
v. विभाग में एक विशेष प्रकोष्ठ अर्थात कार्यान्वयन प्रकोष्ठ है, जिसका कार्य विधि आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन तथा अधिवक्ता अधिनियम, 1961 और अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2015 के प्रशासन से संबंधित कार्य करना है। यह विधि व्यवसाय से संबंधित कार्य भी देखता है।
vi. संयुक्त सचिव एवं विधि सलाहकार का एक-एक पद क्रमश: रेलवे बोर्ड और दूर-संचार विभाग में है। तथापि, इन दोनों संगठनों का कार्य संचालन वर्तमान में अपर सचिव स्तर पर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, रक्षा मंत्रालय, श्रम मंत्रालय, आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय, एस0एफ0आई0ओ0, एन0टी0आर0ओे0 और केंद्रीय जांच ब्यूरो में भी भारतीय विधि सेवा के अधिकारी तैनात हैं।
भारतीय विधि सेवा का सृजन:
समाज के विकास के साथ-साथ विधि व्यवसाय में भी भारी बदलाव हुआ है। समाज की कानूनी जरूरतों को पूरा करने के लिए तथा न्याय की समुचित व्यवस्था के लिए कई प्रयास किये गये हैं। सरकार की आवश्यकताओं को गुणात्मक रूप से पूरा करने के लिए वर्ष 1956 में केंद्रीय विधि सेवा (वर्तमान भारतीय विधि सेवा की पूर्ववर्ती सेवा) का गठन करना एक ऐसा ही प्रयास था। भारत सरकार ने भारतीय विधि सेवा नियम, 1957 के अधीन विधि और न्याय मंत्रालय में भारतीय विधि सेवा का सृजन किया जो 1 अक्टूबर, 1957 को लागू हुई। अपनी स्थापना के समय से ही भारतीय विधि सेवा के अधिकारी भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों को महत्वपूर्ण मामलों में विधिक सलाह देने तथा संसद में पेश किये जाने वाले विधेयकों और अध्यादेशों के मसौदों को तैयार करने के कार्य में पूर्ण समर्पित भाव से राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। इस सेवा ने कई राज्यों को राज्यपाल, संसद के दोनों सदनों को महासचिव, मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त, उच्च न्यायालयों को न्यायाधीश और विभिन्न अधिकरणों जैसे कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, आयकर अपीलीय अधिकरण तथा ऋण वसूली अधिकरण आदि को कई न्यायिक सदस्य और सूचना आयुक्त दिये हैं।
भारतीय विधि सेवा की भूमिका:
भारत सरकार का प्रधान विधिक अंग होने के नाते विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग से संबंधित भारतीय विधि सेवा के अधिकारियों ने सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया है और अपने कर्तव्य का बखूबी पालन किया है। डिजिटल क्रांति ने सूचना की साझेदारी की प्रक्रिया में परिवर्तन किया है और अर्थव्यवस्था में संपदा के सृजन के नये क्षेत्रों को उत्पन्न किया है। इससे यह आवश्यक हो गया है कि भारतीय विधि सेवा के अधिकारी बढ़ती विधिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने विधिक कौशल को अद्यतन करें। सरकार के प्रधान विधि सलाहकार होने के नाते इस सेवा के अधिकारी सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा की गई मांगों की पूर्ति के लिए शीघ्रता से कारगर ढंग से आगे आए हैं और वे सलाहकारी तथा प्रारूपण दोनों ही कार्यों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
2.1 सलाह ‘क’ अनुभाग
01.01.2021 से 31.12.2021 तक की अवधि में सलाह “क” अनुभाग में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से विभिन्न मुद्दों पर विधिक सलाह/राय और दस्तावेजों की विधीक्षा के लिए कुल 3592 संदर्भ (विधि सचिव, अपर सचिवों और संयुक्त सचिवों के कार्यालयों से सलाह के लिए प्राप्त संदर्भों सहित) प्राप्त हुए, जिन पर तत्परतापूर्वक कार्रवाई की गयी और इस विभाग के अधिकारियों द्वारा दी गयी विधिक सलाह को आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित मंत्रालयों/विभागों को भेजा गया। इसके अतिरिक्त, इस विभाग के अधिकारियों ने विभिन्न राष्ट्रीय / अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों में भी भाग लिया।
2. विधिक सलाह देने के अलावा, इस अनुभाग ने माननीय मंत्री जी और इस विभाग के अधिकारियों को प्राप्त हुए निर्देशों और अन्य संसूचनाओं पर भी कार्रवाई की है।
3. सलाह ‘क’ और ‘ख’ अनुभागों के सूचना का अधिकार आवेदनों से संबंधित 49 मामलों पर भी कार्रवाई की गयी।
4. अभिहस्तांतरण से संबंधित 105 संदर्भों पर भी कार्रवाई की गयी। इनमें कई मामले अंतरराष्ट्रीय करारों से संबंधित थे।
5. उपर्युक्त अवधि के दौरान, राज्य विधेयकों और अध्यादेशों से संबंधित 90 मंत्रिमंडल टिप्पण और 61 संदर्भ सलाह के लिए प्राप्त हुए।
6. इसके अतिरिक्त, इस अनुभाग द्वारा कुल 12 लोक शिकायतों पर भी कार्रवाई की गयी।
2.2 सलाह ‘ख' अनुभाग
सलाह ‘ख' अनुभाग को दिनांक 01.01.2021 से 31.12.2021 तक, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से विभिन्न मुद्दों पर विधिक राय और दस्तावेजों की विधीक्षा के लिए कुल 2802 संदर्भ प्राप्त हुए, जिन पर सलाह ‘ख' अनुभाग द्वारा विधिवत कार्रवाई की गयी।
2. उपर्युक्त अवधि के दौरान, कुल 87 मंत्रिमंडल-नोट/विधायी प्रस्ताव, 1784 विशेष वाद याचिकाएं (एसएलपी)/वाद मामले समीक्षा/राय दिये जाने के लिए प्राप्त हुईं।
3. उपर्युक्त के अतिरिक्त, इस विभाग के अधिकारियों ने 179 राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय बैठकों और सम्मेलनों में भी भाग लिया।
4. इस अनुभाग ने माननीय मंत्री जी के कार्यालय और इस विभाग के अधिकारियों को प्राप्त हुए संदर्भों और अन्य संसूचनाओं पर भी कार्रवाई की।
5. इसके अतिरिक्त, 36 संसद-प्रश्नों/आश्वासनों पर भी कार्रवाई की गयी।
2.3 सलाह ‘ग' अनुभाग
वर्ष 2021 के दौरान अलग-अलग विषयों के 18 नये मामले माननीय भारत के महान्यायवादी, भारत के सॉलिसिटर जनरल और भारत के अपर सॉलिसिटर जनरल की राय के लिए भेजे गये थे। जिसमें से 10 मामलों में राय प्राप्त हुई और उन्हें विधि सचिव और माननीय विधि और न्याय मंत्री के अनुमोदन के बाद भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों/ विभागों को भेज दिया गया है।
इस अनुभाग ने विधि और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग के अधिकारियों को विभिन्न विषयों की पूर्व मिसाल देकर सामान्य और सचिवीय सहायता प्रदान की है।
2.4 न्यायिक अनुभाग
1) 01.01.2021 से 29.12.2021 तक विभिन्न न्यायालयों के समक्ष विधि अधिकारियों/पैनल कांउसेलों के माध्यम से केंद्र सरकार के मुकदमों का संचालन
क) माननीय भारत के महान्यायवादी को एक और वर्ष के लिए फिर से नियुक्त किया गया है।
ख) 07 नये सहायक सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (सहायक एसजीआई) विभिन्न उच्च न्यायालयों और उच्च न्यायालयों की पीठों में नियुक्त किये गये।
ग) पैनल में शामिल अधिवक्ताओं की निम्नलिखित संख्या या पैनल वकील के रूप में उनकी अवधियों को संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के विभिन्न न्यायालयों/अधिकरणों के लिए बढ़ा दिया गया है (आंकड़े राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार दिखाये गये हैं):
क्र. सं. | राज्य/संघ राज्य क्षेत्र | विभिन्न श्रेणियों में पैनलबद्ध किये गये अधिवक्ताओं की कुल संख्या |
---|---|---|
1. | हिमाचल प्रदेश | 57 |
2. | चंडीगढ़ | 72 |
3. | दिल्ली | 108 |
4. | महाराष्ट्र | 26 |
5. | बिहार | 02 |
6. | तमिलनाडु | 208 |
7. | केरल | 141 |
8. | कर्नाटक | 168 |
9. | आंध्र प्रदेश | 06 |
10. | तेलंगाना | 01 |
11. | जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश | 01 |
12. | उड़ीसा | 75 |
13. | राजस्थान | 03 |
कुल | 868 |
घ) 10 पैनल काउंसल (एक सहायक एसजीआई सहित) के त्याग पत्र पर कार्रवाई की गयी।
ड.) विधि अधिकारियों/सहायक एसजीआई/पैनल काउंसल के विरुद्ध 06 शिकायतों पर कार्रवाई की गई है।
च) इस मंत्रालय के अनुमोदन हेतु कुछ विशेष मंत्रालयों/विभागों/बोर्डों को विशिष्ट प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिवक्ताओं के अलग पैनलों से संबंधित 10 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और इन पर कार्यवाही की गई।
छ) सामान्य या विशेष निबंधनों और शर्तों के आधार पर देश के विभिन्न न्यायालयों में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए भारत सरकार के कई मंत्रालयों/ विभागों से विधि अधिकारी, पैनल काउंसल और निजी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के लिए अनुरोध/ प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उक्त अवधि के दौरान ऐसे लगभग 102 प्रस्तावों पर कार्यवाही की गयी है।
2) विभिन्न विषयों जैसे पैनल काउंसेल की नियुक्ति की अवधि, शुल्क सूची से संबंधित विषयों इत्यादि का स्पष्टीकरण
पैनल काउंसेल की नियुक्ति की निबंधनों और शर्तों, उनकी शुल्क सूची इत्यादि से संबंधित विभिन्न मुद्दे समय-समय पर प्राप्त हुए हैं। उक्त अवधि के दौरान, ऐसे लगभग 95 स्पष्टीकरण जारी किये गये हैं।
3) घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवादों में माध्यस्थम पैनल काउंसेलों का नामांकन करना, जिसमें एक पक्ष सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम और दूसरा पक्ष सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम/निजी पक्षकार होता है:
माध्यस्थम मामलों में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों का प्रतिनिधित्व करने के लिए माध्यस्थम पैनल काउंसेल की नियुक्ति से संबंधित अनुरोध प्राप्त हुए हैं। उक्त अवधि के दौरान, ऐसे अनुरोधों के उत्तर में, लगभग 90 माध्यस्थम मामलों में माध्यस्थम पैनल काउंसेल नियुक्त किये गये हैं।
4) समनों की तामील इत्यादि के संबंध में द्विपक्षीय संधियों (पारस्परिक विधिक सहायता संधियों/पारस्परिक प्रबंधों) और बहुपक्षीय संधियों (1965/1971 का हेग कन्वेंशन) से उत्पन्न होने वाले अनुरोधों की जांच और उन पर कार्यवाही करना:
विधि और न्याय मंत्रालय, विधि कार्य विभाग हेग कन्वेंशन, 1965 के अधीन सिविल और वाणिज्यिक मामलों में न्यायिक और न्यायिकेतर दस्तावेजों की विदेशों में तामील के लिए केंद्रीय प्राधिकरण है। इस दायित्व के अधीन, लगभग 2000 अनुरोधों पर कार्यवाही की गई है।
2.5 नोटरी
नोटरी अधिनियम, 1952 और उसके तहत बनी नियमावली, 1956 का प्रशासन नोटरी सेल के दायरे में आता है। नोटरी सेल देश में विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त ऑनलाइन आवेदनों की जांच/संवीक्षा करने और नोटरियों की नियुक्ति से संबंधित इन आवेदनों पर कार्यवाही करता है इन आवेदनों का प्रसंस्करण तथा नोटरियों की नियुक्ति के लिए साक्षत्कार आयोजित करता है। यह सेल नोटरियों द्वारा किये गये कदाचारों के आरोपों की जांच भी करता है। नोटरी सेल आरटीआई आवेदनों, आरटीआई की पहली और दूसरी अपील को भी देखता है। नोटरी सेल आरटीआई आवेदनों, आरटीआई की पहली और दूसरी अपील को भी देखता है। नोटरी सेल पूरे भारत में विभिन्न उच्च न्यायालयों में दायर अदालती मामलों को भी देखता है।
नोटरी सेल प्रत्येक 5 वर्ष में केन्द्रीय सरकार द्वारा जारी किये गये नोटरी के व्यवसाय के प्रमाणपत्रों का नवीकरण भी करता है। यह सेल इस आशय के आवेदन-पत्र प्राप्त होने पर और पर्याप्त कारण होने पर, व्यवसाय के क्षेत्र में विस्तार/परिवर्तन भी करता है।
केंद्र सरकार ने अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 22454 नोटरी नियुक्त किये हैं। विचाराधीन अवधि के दौरान लगभग 1203 नोटरी प्रमाण पत्र नवीनीकृत किये गये हैं।
2.6 कार्यान्वयन प्रकोष्ठ
संविधियों का प्रशासन: यह प्रकोष्ठ निम्नलिखित अधिनियमों के प्रशासन से भी संबंधित है:-
i. अधिवक्ता अधिनियम, 1961
ii. अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001
भारतीय बार काउंसिल एक सांविधिक निकाय है जिसे अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 4 के तहत स्थापित किया गया है जो भारत में विधि व्यवसाय और कानूनी शिक्षा को नियंत्रित करता है। इसके सदस्य भारत में अधिवक्ताओं में से चुने जाते हैं और इस तरह भारतीय बार का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पेशेवर आचरण, शिष्टाचार के मानकों को निर्धारित करता है और बार पर अनुशासनात्मक अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है। यह कानूनी शिक्षा के लिए मानक भी निर्धारित करता है और उन विश्वविद्यालयों को मान्यता प्रदान करता है जिनकी कानून की डिग्री छात्रों के लिए स्नातक स्तर पर अधिवक्ता के रूप में नामांकन करने के लिए योग्यता के रूप में काम करेगी। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 और अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001 के तहत भारतीय बार काउंसिल द्वारा बनाये गये नियम भारतीय बार काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइट यानी www.barcouncilofindia.org. पर उपलब्ध हैं।
अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001: Socकनिष्ठ वकीलों के लिए वित्तीय सहायता और निर्धन अथवा विकलांग अधिवक्ताओं के लिए कल्याण योजनाओं के रूप में सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना सदैव विधिक बिरादरी का विचार का विषय रहा है। कुछ राज्यों ने इस विषय पर अपने विधान अधिनियमित किये हैं। संसद ने उन संघ राज्य क्षेत्रों और राज्यों के लिए, जिनके पास उक्त विषय में समुचित सरकार द्वारा ‘अधिवक्ता कल्याण निधि’ के सृजन के लिए अपनी अधिनियमितियां नहीं हैं, ‘अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम, 2001’ अधिनियमित किया है। यह अधिनियम प्रत्येक अधिवक्ता के लिए किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण में दायर वकालतनामे पर अपेक्षित मूल्य के स्टाम्प लगाने को अनिवार्य करता है। ‘अधिवक्ता कल्याण निधि स्टाम्प’ के विक्रय के माध्यम से एकत्रित धनराशि ‘अधिवक्ता कल्याण कोष’ का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। प्रैक्टिस करने वाला कोई भी अधिवक्ता आवेदन शुल्क और वार्षिक अंशदान शुल्क का भुगतान कर के अधिवक्ता कल्याण निधि’ का सदस्य बन सकता है। यह निधि समुचित सरकार द्वारा स्थापित न्यासी समिति में निहित और उसके द्वारा संघटित और उसके द्वारा प्रयुक्त होगी। इस निधि का प्रयोग अन्य बातों के साथ सदस्य की गंभीर स्वास्थ्य समस्या, प्रैक्टिस के बंद होने या किसी सदस्य की मृत्यु की दशा में उसके नामिती या कानूनी वारिस को एक नियत धनराशि के भुगतान करने, सदस्य और उसके आश्रितों की चिकित्सा और शैक्षिक सुविधाओं, अधिवक्ताओं के लिए पुस्तकों की खरीद और सामान्य सुविधाओं के लिए अनुग्रह राशि के रूप में उपयोग में लाई जाएगी।
विधि आयोग की रिपोर्टें: कार्यान्वयन सेल विधि आयोग की रिपोर्टों पर कार्यवाही करने, उन्हें संसद के समक्ष रखने और रिपोर्टों को संबंधित मंत्रालयों/विभागों को जांच/कार्यान्वयन के लिए अग्रेषित करने और उन पर शीघ्र कार्रवाई करने के लिए उनसे संपर्क बनाये रखने के लिए उत्तरदायी है। दिनांक 31.12.2021 तक भारत के विधि आयोग ने 277 रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं जिनमे से 277 रिपोर्टें संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखी गई हैं। दिनांक 31.12.2021 तक प्राप्त सभी रिपोर्टों को संबंधित मंत्रालयों/विभागों को जांच/कार्यान्वयन अथवा उनकी ओर से अगली कार्रवाई के लिए उन्हें अग्रेषित किया गया है। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधित विभागीय स्थायी संसदीय समिति की सिफारिशों के अनुसरण में, कार्यान्वयन सेल संसद के दोनों सदनों के समक्ष विधि आयोग की लंबित रिपोर्टों की स्थिति दर्शाने वाला एक वार्षिक विवरण 2005 से रखता आ रहा है। इस तरह का अंतिम विवरण (14वां विवरण) संसद के दोनों सदनों के पटल पर (दिनांक 11.12.2019 को लोक सभा में और दिनांक 12.12.2019 को राज्य सभा में) रखा गया था। यह आयोग अपनी रिपोर्टें अपनी वेबसाइट www.lawcommissionofindia.nic.in. पर भी उपलब्ध करवाता है।
2.7 आरटीआई प्रकोष्ठ
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के अधीन आरटीआई सेल, आरटीआई मामलों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। आरटीआई सेल प्राप्त आरटीआई आवेदनों को संबंधित केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों/लोक प्राधिकारियों को अग्रेषित करता है। यह केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा प्राप्त अपीलों/आदेशों पर अनुवर्ती कार्रवाई का समन्वय भी करता है। आरटीआई प्रकोष्ठ आरटीआई आवेदनों/ अपीलों से संबंधित त्रैमासिक विवरण सीआईसी को भेजने के लिए भी उत्तरदायी है। आरटीआई वेब पोर्टल पर भी ऑनलाइन प्राप्त सभी आरटीआई आवेदन/अपील संबंधित केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी/लोक प्राधिकारी और अपील प्राधिकारी को भेजी जाती हैं।
2. वर्तमान में, विधि कार्य विभाग में उप सचिव/संयुक्त सचिव स्तर के 12 केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी हैं तथा अपर सचिव, संयुक्त सचिव और समतुल्य स्तर के 5 अपील प्राधिकारी हैं। दिनांक 01.01.2021 से 06.12.2021 तक प्राप्त आरटीआई आवेदनों/अपीलों का विवरण निम्नानुसार है:-
क्र.सं. | आरटीआई मामले | कुल (01.01.2021 से 06.12.2021) | (07.12.2021 से 31.03.2022) से प्रत्याशित |
---|---|---|---|
1. | आरटीआई आवेदन | 2160 | 1500 |
2. | निस्तारित प्रथम अपील | 174 | लागू नहीं |
3. | माननीय केन्द्रीय सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील | 33 | लागू नहीं |
2.8 पुस्तकालय और अनुसंधान अनुभाग
पुस्तकालय और अनुसंधान अनुभाग एक विशेष अनुसंधान एकक है जो विधि और न्याय मंत्रालय की विधि की पुस्तकों/जर्नलों/ऑनलाइन विधिक सेवाओं और अन्य अनुसंधान सामग्री की आवश्यकता की देखरेख करता है। यह अनुभाग माननीय विधि और न्याय मंत्री, विधि, विधि अधिकारियों और विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग के भारतीय विधि सेवा अधिकारियों को संदर्भ और विधिक अनुसंधान की सेवाएं प्रदान करता है।
2. इस अवधि के दौरान, पुस्तकालय और अनुसंधान अनुभाग ने 300 पुस्तकें और बेयर एक्ट की 348 प्रतियाँ प्राप्त कीं।
3. पुस्तकालय और अनुसंधान अनुभाग 14 भारतीय विधि जर्नलों, 2 विदेशी विधि जर्नलों को मंगाता है।
4. पुस्तकालय और अनुसंधान अनुभाग ने इस मंत्रालय के अधिकारियों के प्रयोग के लिए निम्नलिखित ऑनलाइन सेवाएं/ निर्णयज विधि, निर्णयों और आलेखों आदि की सीडी रॉम प्राप्त/नवीनीकरण किया है:-
(क) एआईआर कॉम्प्रिहेन्सिव सॉफ्टवेयर/डाटाबेस
(ख) एससीसी ऑनलाइन केस फांइडर
(ग) एससीसी ऑनलाइन (आईपी) सर्विसेज
(घ) मनुपात्र ऑनलाइन (आईपी) सर्विसेज
2.9 दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा
भारत सरकार के रेल और आय-कर विभागों को छोड़कर, सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा संबंधी कार्य मुकदमा (उच्च न्यायालय) अनुभाग द्वारा किया जाता है। सहायक विधि सलाहकार/ अधीक्षक (विधि) और अन्य कर्मचारियों की सहायता से प्रभारी अधिकारी मुकदमा कार्य की देखरेख करते हैं, जिसका विवरण निम्नलिखित है:-
(क) दिल्ली उच्च न्यायालय में संचालित मुकदमे सामान्यत: निम्नलिखित से संबद्ध होते हैं:-
भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के अधीन सिविल और दांडिक रिट याचिकाएं, सिविल विविध आवेदन, खंडपीठ अपीलें, कंपनी आवेदन, निष्पादन आवेदन और विविध दांडिक।
(ख) दिल्ली उच्च न्यायालय के अलावा अन्य न्यायालयों में संचालित मुकदमे सामान्यत: निम्नलिखित से संबंधित होते हैं:-
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, औद्योगिक अधिकरण व श्रम न्यायालय, एन.सी.एल.टी., एन.सी.एल.ए.टी., अवैध गतिविधि (निवारण अधिकरण), ऋण वसूली अधिकरण, ऋण वसूली अपील अधिकरण, आप्रवासी अपील समिति, विद्युत अपील अधिकरण, केन्द्रीय सूचना आयोग, जिला उपभोक्ता फोरम, राष्ट्रीय हरित अधिकरण आदि।
2. मुकदमा कार्य दो अनुभागों - मुकदमा (उ.न्या.) अनुभाग 'ए' और 'बी' द्वारा किया जाता है, जिनका पर्यवेक्षण सहायक (विधि) /अधीक्षक (विधि) द्वारा किया जाता है। अनुभाग 'ए' भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के अधीन रिट याचिकाओं, लेटर पेटेंट अपीलों और विविध याचिकाओं से संबंधित अग्रिम नोटिसों, जिनमें सामान्य प्रकृति के मामले भी शामिल हैं, के संबंध में कार्रवाई करता है। अनुभाग 'बी' माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में भारत संघ की ओर से दायर की गयी रिट याचिकाओं और मूल पुनरीक्षण याचिकाओं आदि के संबंध में कार्रवाई करता है। यह अनुभाग उपर्युक्त पैरा 1(ख) में उल्लिखित अन्य न्यायालयों/अधिकरणों से संबंधित मामलों में भी कार्रवाई करता है।
3. केन्द्रीय सरकार के मुकदमों का संचालन करने के लिए भारत के एक अपर महा-सालिसिटर (एएसजी), 27 स्थायी केंद्रीय सरकारी काउंसेल (सीजीएससी), 07 विशेष काउंसेल, 237 वरिष्ठ काउंसेलों और 167 सरकारी प्लीडरों के पैनल हैं। सार्वजनिक महत्व के और विधि के जटिल प्रश्न वाले मामलों में विधि अधिकारियों में से किसी एक विधि अधिकारी, अर्थात् भारत के महान्यायवादी/भारत के महा-सालिसिटर/भारत के अपर महा-सालिसिटर को नियोजित किया जाता है। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमों में सरकार के हितों की रक्षा करने के लिए संबंधित विभागों और काउंसेलों से निकट संपर्क बनाए रखा जाता है। उप विधि सलाहकार और अन्य अधिकारी मामलों की हर प्रगति पर कड़ी निगरानी रखते हैं।
4. मुकदमा (उ.न्या.) अनुभाग को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। 01/04/2021 से 30/11/2021 की अवधि के दौरान इस एकक ने एएसजी और काउंसेल के संबंध में लगभग 8500 व्यावसायिक शुल्क बिलों का भुगतान किया है, जिनकी राशि 8 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, लगभग 4 करोड़ रुपये के शुल्क बिल भुगतान प्रक्रियाधीन हैं जो बजटीय अनुमानों के संशोधनों के अधीन हैं।
5. दिनांक 01.01.2021 से 30.11.2021 अवधि के दौरान मुकदमा (उच्च न्यायालय) अनुभाग ने दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमों के संचालन के लिए 5626 मामलों में विधि अधिकारी और सरकारी काउंसेल नियोजित किये हैं। मामलों की प्राप्ति का अनुभागवार ब्यौरा और अनुमानित प्राप्ति का ब्यौरा निम्नलिखित है:-
मुकदमा उच्च न्यायालय अनुभाग
अनुभाग | 01/01/2021 से 30/11/2021 तक प्राप्त मामलों की संख्या | 01/12/2021 से 31/03/2022 तक की अवधि में अनुमानित मामले | कुल |
---|---|---|---|
ए | 5169 | 2000 | 7169 |
बी | 457 | 170 | 627 |
कुल | 5626 | 2170 | 7796 |
2.9.1 मुकदमा एएफटी दिल्ली
01/01/2021 से 30/11/2021 की अवधि के दौरान, एएफटी दिल्ली में मुकदमा चलाने के लिए 2490 मामलों में मुकदमा एएफटी अनुभाग ने सरकारी काउंसेलों को नियुक्त किया है। मामलों की प्राप्ति का विवरण इस प्रकार है:-
अनुभाग | 01/01/2021 से 30/11/2021 तक प्राप्त मामलों की संख्या | 01/12/2021 से 31/03/2022 तक की अवधि में अनुमानित मामले | कुल |
---|---|---|---|
एएफटी | 2490 | 950 | 3440 |
2.9.2 केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ) में मुकदमा कार्य
मुकदमा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ) दिल्ली प्रकोष्ठ भारत संघ के मंत्रालयों और विभागों से संबंधित मामलों / मुकदमों की देखरेख करता है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ), दिल्ली में भारत संघ के मंत्रालयों/विभागों के हितों का बचाव करने के लिए अनुमोदित पैनल में से काउंसेल नामनिर्दिष्ट करता है।
2. दिनांक 01/01/2021 से 30/11/2021 तक की अवधि के दौरान, मुकदमा केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ) प्रकोष्ठ ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ) में मुकदमों के संचालन के लिए 1100 मामलों में सरकारी काउंसेल नियोजित किये हैं। मामलों की प्राप्ति का ब्यौरा निम्नलिखित है:-
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ), दिल्ली में मुकदमा-कार्य
अनुभाग | 01/01/2021 से 30/11/2021 तक प्राप्त मामलों की संख्या | 01/12/2021 से 31/03/2022 तक की अवधि में अनुमानित प्राप्त मामले | कुल |
---|---|---|---|
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (प्रधान न्यायपीठ) प्रकोष्ठ | 1100 | 400 | 1500 |
2.9.3 मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग, तीस हजारी
दिल्ली/ नयी दिल्ली में रेल और आय-कर विभाग को छोड़कर भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से जिला न्यायालयों/उपभोक्ता फोरमों/अधिकरणों में मुकदमा कार्य का संचालन मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग द्वारा किया जाता है। उपर्युक्त न्यायालयों/अधिकरणों में मुकदमा कार्य की देखभाल एक अधीक्षक (विधि)/ सहायक (विधि) की सहायता से इस अनुभाग के प्रभारी सहायक विधि सलाहकार एवं प्रभारी द्वारा की जाती है।
2. वरिष्ठ पैनल काउंसेलों और अपर केंद्रीय सरकारी काउंसेलों का एक पैनल बनाया गया है, जिनको भारत संघ अर्थात भारत सरकार की ओर से मामलों के संचालन हेतु नामित किया जाता है। प्रशासनिक मंत्रालय/विभाग से अनुरोध प्राप्त होने पर न्यायालयों में उनकी ओर से पेश होने के लिए उपयुक्त काउंसेल नियोजित किये जाने के लिए कार्रवाई की जाती है। रिपोर्ट की अवधि के दौरान इस अनुभाग ने 363 मामलों में काउंसेल नियोजित किये। जिला न्यायालयों/उपभोक्ता फोरमों/अधिकरणों में सरकार (भारत संघ) के हित की रक्षा के लिए विभिन्न विभागों और सरकारी काउंसेलों के साथ हर समय निकट संपर्क बनाए रखा जाता है।
3. माननीय न्यायालयों द्वारा मामलों में निर्णय देने पर सरकारी काउंसेल एक निर्धारित प्रपत्र में अपना फीस बिल प्रस्तुत करता है। फीस के बिलों को प्रमाणित करने और विहित दरों पर संदाय करने से पूर्व, उनकी नियुक्ति के निबंधनों और शर्तों को ध्यान में रखते हुए संवीक्षा की जाती है। रिपोर्ट की अवधि के दौरान इस अनुभाग में सरकारी काउंसेल/वरिष्ठ पैनल काउंसेलों से फीस के 20 बिल प्राप्त हुए। वित्त वर्ष 2021-22 में इस अनुभाग ने 1,30,00,000 (1 करोड़ तीस लाख) रुपये का बजट आबंटित किया। इस राशि में से 4,15,955 (चार लाख पंद्रह हजार नौ सौ पचपन) रुपए की राशि का सरकारी काउंसेल/वरिष्ठ पैनल काउंसेलों को उनके व्यावसायिक फीस बिलों के लिए भुगतान किया गया है।
4. न्यायपालिका में, विशेष तौर पर जिला न्यायालयों/अधीनस्थ न्यायालयों में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ सामंजस्य रखने के लिए और मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग के प्रभावी कार्यकरण को सुनिश्चित करने के लिए इस अनुभाग के कम्प्यूटरीकरण का प्रस्ताव मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग के साथ जिला एवं सत्र न्यायालय के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (रा.सू.के.) द्वारा किये गये प्रणाली अध्ययन की रिपोर्ट के साथ सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत किया गया है।
5. इस अनुभाग के प्रभारी शाखा अधिकारी सहायक विधि सलाहकार को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अधीन केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी के रूप में भी पदाभिहित किया गया है। अधीक्षक (विधि) मुकदमा (निम्न न्यायालय) अनुभाग का पर्यवेक्षण करते हैं।
2.10 केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग
केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग (सीएएस) की स्थापना वर्ष 1950 में हुई थी। यह कार्यालय केन्द्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों की ओर से तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, संघ राज्य क्षेत्रों, भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक के कार्यालय तथा उसके अधीन सभी क्षेत्रीय कार्यालयों अर्थात् महालेखाकार कार्यालय की ओर से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष मुकदमा कार्य के संचालन के लिए जिम्मेदार है। सर्वोच्च न्यायालय में भारत संघ की ओर से विशेष अनुमति याचिकाएं/नागरिक अपीलें दायर करने की व्यवहार्यता के बारे में विधि अधिकारियों की राय प्राप्त करने के पश्चात केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग के माध्यम से दायर की जाती हैं। इस कार्यालय की देखरेख वर्तमान में एक अपर सचिव द्वारा की जाती है, जिन्हें इस कार्यालय का प्रभारी घोषित किया गया है और विभागाध्यक्ष की शक्ति प्रत्यायोजित की गई है । उन्हें नियमित आधार पर 8 सरकारी अधिवक्ता और अनुबंध के आधार पर 1 एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड और अन्य राजपत्रित और अराजपत्रित कर्मचारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है । 8.3.2022 को सरकारी पैनल में 11 विधि अधिकारी और 813 अधिवक्ता हैं। केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग सर्वोच्च न्यायालय परिसर, नयी दिल्ली से कार्य करता है।
केंद्रीय अभिकरण अनुभाग के कार्य निम्नलिखित से संबंधित हैं:
• महान्यायवादी, महासॉलिसिटर और अपर महॉसालिसिटरों की राय के लिए विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय के माध्यम से प्राप्त भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों के संदर्भ।
• विभिन्न मामलों के लिए विधि अधिकारियों / अनुमोदित पैनल काउंसेलों को नियोजित करना।
• भारत संघ/राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक तथा संघ राज्य क्षेत्रों की ओर से भारत के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमों का संचालन और पर्यवेक्षण।
• रिकार्ड का पर्यवेक्षण, आर एंड आई अनुभाग, शुल्क बिल इकाइयां, कंप्यूटर सेल और प्रशासन प्रभाग जिसमें नकद अनुभाग भी शामिल है ।
2. केन्द्रीय अभिकरण अनुभाग के सरकारी अधिवक्ताओं को उच्चतम न्यायालय के अभिलिखित अधिवक्ता की अर्हता की आवश्यकता है। ये भारत संघ, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक तथा संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित मामलों में उच्चतम न्यायालय के नियमों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश होते हैं।
3. केंद्रीय अभिकरण अनुभाग में उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार, वर्ष 2021 के दौरान, केंद्रीय अभिकरण अनुभाग को भारत सरकार के विभिन्न विभागों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, नियंत्रक और महालेखापरीक्षक और संघ राज्य क्षेत्रों से 2546 नये मामले प्राप्त हुए जिनमें भारत संघ या संघ राज्य क्षेत्र या तो याचिकाकर्ता हैं या प्रतिवादी हैं ।
2.11 भारत का विधि आयोग
विधिक सुधारों हेतु कार्य करने के लिए निर्दिष्ट विचारार्थ विषयों के साथ भारत के विधि आयोग का गठन सामान्यत: हर तीन साल में होता है। भारत के 22वें विधि आयोग का गठन दिनांक 21.02.2020 को अधिसूचना द्वारा किया गया था लेकिन अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अभी की जानी है। इस आयोग में विधि पक्ष की ओर से भारतीय विधि सेवा के विधि अधिकारी शामिल हैं और प्रशासन की ओर से केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारी हैं।
विचारार्थ विषय: 22वें विधि आयोग में निम्नलिखित विचारार्थ विषय शामिल हैं-
क. अप्रचलित विधियों का पुनर्विलोकन/निरसन:
(i) ऐसी विधियों की पहचान करना जो अब आवश्यक या प्रासंगिक नहीं रह गयी हैं और जिन्हें तत्काल निरसित किया जा सकता है।
(ii) ऐसी विधियों की पहचान करना जो आर्थिक उदारीकरण के विद्यमान परिवेश के सामंजस्य में नहीं हैं और जिनमें परिवर्तन की आवश्यकता है।
(iii) ऐसी विधियों की पहचान करना जिनमें परिवर्तन या संशोधन अपेक्षित हैं और उनके संशोधन के लिए सुझाव देना।
(iv) विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के विशेषज्ञ समूहों द्वारा दिए गये पुनरीक्षण/ संशोधन के सुझावों पर, उनके समन्वयन और सामंजस्यकरण की दृष्टि से व्यापक परिप्रेक्ष्य में विचार करना।
(v) एक से अधिक मंत्रालयों / विभागों के कार्यकरण पर प्रभाव डालने वाले विधान की बाबत मंत्रालयों/विभागों द्वारा विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय के माध्यम से किये गये निर्देशों पर विचार करना।
(vi) विधि के क्षेत्र में नागरिकों की शिकायतों को शीघ्र दूर करने के लिए उपयुक्त उपायों का सुझाव देना।
ख. विधि और निर्धनता:
(i) ऐसी विधियों की जांच करना जो निर्धनों पर प्रभाव डालती हैं और सामाजिक-आर्थिक विधानों के लिए पश्च-संपरीक्षा करना।
(ii) ऐसे सभी उपाय करना जो निर्धनों की सेवा में विधि और विधिक प्रक्रिया को उपयोग में लाने के लिए आवश्यक हों।
ग. यह सुनिश्चित करने के लिए न्याय प्रशासन की पद्धति का पुनर्विलोकन करते रहना कि वह समय की उचित मांगों के लिए प्रभावी बनी रहे और विशेष रूप से, निम्नलिखित को सुनिश्चित करना:
(i) विलंब को दूर करना, बकाया मामलों का शीघ्र निपटान करना और खर्च में कमी करना ताकि इस आधारभूत सिद्धांत कि निर्णय न्यायपूर्ण और निष्पक्ष होने चाहिए पर प्रभाव डाले बिना, मामलों का शीघ्र और मितव्ययी निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
(ii) विलंबकारी युक्तियों और तकनीकी जटिलताओं को दूर करने या कम करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण करना, जिससे वह स्वयं में साध्य बनकर न रह जाए बल्कि न्याय की प्राप्ति में एक साधन के रूप में प्रयुक्त हो।
(iii) न्याय प्रशासन से संबद्ध सभी मानदंडों में सुधार।
घ. विद्यमान विधियों की राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के आलोक में परीक्षा करना और उनमें सुधार तथा उन्नति के तरीकों का सुझाव देना और ऐसे विधानों का सुझाव भी देना जो निदेशक सिद्धांतों के कार्यान्वयन के लिए और संविधान की उद्देशिका में वर्णित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हों।
ङ लैंगिक समानता के संवर्धन की दृष्टि से विद्यमान विधियों की परीक्षा करना और उनमें संशोधनों के लिए सुझाव देना।
च. सार्वजनिक महत्व के केन्द्रीय अधिनियमों का पुनरीक्षण करना जिससे उन्हें सरल बनाया जा सके और उनकी विसंगतियों, संदिग्धताओं तथा असमानताओं को दूर किया जा सके।
छ. अप्रचलित विधियों और ऐसी अधिनियमितियों या उनके ऐसे भागों को, जिनकी उपयोगिता नहीं रह गयी है, निरसित करके कानून को अद्यतन करने के उपायों की सरकार को सिफारिश करना।
ज. विधि और न्याय प्रशासन से संबंधित ऐसे किसी भी विषय पर, जो विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा उसे निर्देशित किया जाए, विचार करना और अपने अभिमत से सरकार को अवगत कराना।
झ. अनुसंधान प्रदान करने के लिए विदेशों से प्राप्त अनुरोधों पर, जो उसे सरकार द्वारा विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से भजे गये हों, पर विचार करना।
ञ. खाद्य सुरक्षा, बेरोजगारी पर वैश्वीकरण के प्रभाव की जांच करना और गरीबों के हितों की रक्षा के लिए उपायों की सिफारिश करना।
छात्रों को प्रोत्साहन:
आयोग स्वैच्छिक इंटर्नशिप कार्यक्रम अर्थात ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम, शीतकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम संचालित करता है। विधि के शासन की स्थापना और उसके लिए विधि की बेहतर समझ हेतु विधि के छात्रों में विधि के अनुसंधान और विधि में सुधार की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करने के लिए विधि आयोग द्वारा इंटर्नशिप कार्यक्रम संचालित किया जाता है।
उद्देश्य और उपलब्धियां :
विविध विधि आयोगों ने अब तक विभिन्न विषयों पर 277 रिपोर्टें प्रस्तुत की हैं।
अनुवर्ती कार्रवाई:
विधि आयोग की रिपोर्ट समय-समय पर विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा संसद में रखी जाती है और कार्यान्वयन के लिए संबंधित प्रशासनिक विभागों/मंत्रालयों को भेज दी जाती है। सरकार के निर्णय के आधार पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा उन पर कार्रवाई की जाती है। निरपवाद रूप से, रिपोर्टों को न्यायालयों, संसदीय स्थायी समितियों, शैक्षिक और सार्वजनिक लेखों में उद्धृत किया गया है।
2.12 नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र (एनडीआईएसी)
माध्यस्थम तंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए उठाए गए कदम:
इस संबंध में केंद्र सरकार ने भारत में माध्यस्थम तंत्र को बढ़ावा देने और संस्थागत बनाए जाने और प्रस्तावित सुधारों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने दिनांक 30 जुलाई, 2017 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों में अन्य बातों के साथ साथ माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 और नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र (एनडीआईएसी) 2019 अधिनियमित किये गये थे।
माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 में भारतीय माध्यस्थम परिषद (एसीआई) की स्थापना का प्रावधान है जो माध्यस्थम के संतोषजनक स्तरों को सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाना, समीक्षा करना और अद्यतन करने का काम करेगी तथा माध्यस्थम संस्थानों का श्रेणीकरण करने वाली नीतियाँ भी बनाएगी। भारतीय माध्यस्थम परिषद देश भर में माध्यस्थम संस्थानों के बीच मानकों की एकरूपता बनाए रखने के लिए मानदण्ड स्थापित करेगी। यह संशोधन माध्यस्थम मामलों में यह प्रावधान कर न्यायालय के हस्तक्षेप को कम करेगा कि पक्षकार माध्यस्थम और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 11 के तहत मध्यस्थों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्दिष्ट और भारतीय माध्यस्थम परिषद द्वारा वर्गीकृत माध्यस्थम संस्थानों के पास जा सकते हैं। वर्तमान में, भारतीय माध्यस्थम परिषद की स्थापना के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं।
नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम, 2019 संस्थागत मध्यस्थता के लिए एक स्वतंत्र और स्वायत्त शासन बनाने के लिए राष्ट्रीय महत्व की संस्था, अर्थात् नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना का प्रावधान करता है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के लिए एनडीआईएसी को पसंदीदा सीट के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है।
नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र, अन्य बातों के साथ-साथ, सुलह, मध्यस्थता और माध्यस्थम कार्यवाही के लिए सुविधाएं और प्रशासनिक सहायता प्रदान करेगा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मध्यस्थकों, सुलहकर्ताओं और मध्यस्थों के पैनल बनाए रखेगा या विशेषज्ञ जैसे सर्वेक्षक और जांचकर्ता; सुलह, मध्यस्थता और मध्यस्थ कार्यवाही के लिए सुविधाएं और प्रशासनिक सहायता प्रदान करना; अनुसंधान और अध्ययन को बढ़ावा देगा, शिक्षण और प्रशिक्षण प्रदान करना, और माध्यस्थम, सुलह, मध्यस्थता और अन्य वैकल्पिक विवाद समाधान मामलों में सम्मेलनों और सेमिनारों का आयोजन करेगा।
वर्तमान में, नयी दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना के लिए आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं।
एडीआर तंत्र के रूप में मध्यस्थता को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदम:
सिविल और वाणिज्यिक विवादों के समाधान के लिए विशेष रूप से संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देने, प्रोत्साहित करने और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, मध्यस्थता निपटान समझौतों को लागू करना, मध्यस्थों के पंजीकरण के लिए निकाय का प्रावधान करना, सामुदायिक मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना और ऑनलाइन मध्यस्थता को एक स्वीकार्य और सस्ती प्रक्रिया बनाना तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए, 20.12.2021 को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मध्यस्थता पर एक व्यापक स्टैंडअलोन कानून पेश किया गया है।
जैसा कि ज्ञात है मध्यस्थता अधिक अनौपचारिक है और विवादित पक्षों के बीच बातचीत की सुविधा प्रदान करती है जो समझौते के साथ समाप्त हो सकती है। इस प्रकार, मध्यस्थता, माध्यस्थम के विपरीत, विवादग्रस्त लोगों और व्यवसायों को उनके संबंधों को बनाए रखने में मदद करती है, क्योंकि प्रक्रिया में जो समझौता हुआ है वह स्वैच्छिक और सहमति के आधार पर और कई बार निजी होता है। इस विधेयक को 20.12.2021 को जांच और रिपोर्ट के लिए संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया है।
2.13 वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015
राष्ट्रों के समूह में किसी देश की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देने में वाणिज्यिक और वित्तीय बाजारों की बड़ी भूमिका होती है। ऐसी आर्थिक गतिविधियों के समृद्ध होने के लिए, नियमों का सरल ढांचा जो निवेशकों को प्रोत्साहित करता है और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है, एक पूर्व-आवश्यकता है। इसलिए, सरकार ने भारत को निवेश और व्यापार के लिए पसंदीदा गंतव्य बनाने की दृष्टि से अन्य बातों के साथ-साथ व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले कानूनों और नियमों को बनाने को उच्च प्राथमिकता दी है। इस संदर्भ में, सरकार ने पहले वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 अधिनियमित किया था।
एजेंडा को आगे बढ़ाने और देश में आर्थिक सुधारों को जारी रखने के लिए, केंद्र सरकार ने देश में निवेश और व्यापार के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने और अदालतों के न्यूनतम हस्तक्षेप के साथ विवादों के त्वरित समाधान की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं। इस प्रयास में, केंद्र सरकार ने 2018 में वाणिज्यिक न्यायालय, अधिनियम, 2015 में संशोधन किया है। संशोधनों ने वाणिज्यिक विवाद के निर्दिष्ट मूल्य को पहले के 1.00 करोड़ रुपये से कम करके 3 लाख रु. करके और साधारण मूल सिविल क्षेत्राधिकार में शामिल उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र में जिला न्यायाधीश स्तर पर वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना करके वाणिज्यिक विवादों को सुविधा प्रदान की। और न्यायिक प्रणाली पर भार को कम करने के लिए, एक आवश्यक "संस्थापूर्व मध्यस्थता और निपटान" (पीआईएमएस) (एडीआर तंत्र) पेश किया गया है जो कुछ मामलों को इसके निपटान के लिए पहली बार में ही मध्यस्थता के लिए भेज देता है। मध्यस्थता राज्य विधि सेवा प्राधिकरण और जिला विधि सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित की जानी है जैसा कि राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रावधान किया गया है। पीआईएमएस तंत्र के माध्यम से विवाद को हल करने में विफल होने पर, दावेदार अपने व्यापारिक विवाद समाधान के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा सकता है। संशोधित अधिनियम ऐसे क्षेत्रों में जिला स्तर पर वाणिज्यिक अपीलीय न्यायालय की स्थापना का भी प्रावधान करता है जहां उच्च न्यायालयों को सामान्य मूल सिविल अधिकार क्षेत्र नहीं है और वाणिज्यिक विवाद का मामला पहली बार जिला न्यायाधीश के अधीनस्थ न्यायालय द्वारा निर्णय किया जाता है।
30.06.2021 की स्थिति के अनुसार विभिन्न स्तरों के वाणिज्यिक न्यायालयों की स्थापना संबंधी राज्यवार आंकड़े (उच्च न्यायालय) अनुबंध-II में हैं।
2.14 भारतीय विधि संस्थान (आईएलआई)
परिचय: भारतीय विधि संस्थान एक प्रमुख विधि अनुसंधान संस्थान है, जिसकी स्थापना दिनांक 27 दिसंबर, 1956 को हुई थी। संस्थान का मुख्य उद्देश्य विधि में उच्च अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देना और न्याय प्रशासन में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देना है ताकि विधि और उसके तंत्र के जरिए लोगों की सामाजिक-आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। इस संस्थान को वर्ष 2004 में मानित विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। संस्थान ने मार्च, 2017 में राष्ट्रीय आकलन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) से 4.00 अंकों के पैमाने पर 3.35 का सीजीपीए हासिल करके ‘ए’ ग्रेड सहित अपनी पहली मान्यता प्राप्त की। यह संस्थान विधि में मास्टर डिग्री और डॉक्टर के पाठ्यक्रमों सहित विधि के विभिन्न क्षेत्रों में, अर्थात वैकल्पिक विवाद समाधान, कारपोरेट विधि और प्रबंधन, साइबर विधि और बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार जैसे विषयों में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है।
अकादमिक कार्यक्रम: वर्ष 2004 में मानित विश्वविद्यालय घोषित किए जाने के पश्चात, इस संस्थान ने शोधपरक एलएल.एम कार्यक्रम शुरू किया। इस एलएल.एम. कार्यक्रम में दाखिला प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीएटी) की मेरिट और साक्षात्कार के जरिये होता है। वर्तमान में, संस्थान द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं:
कार्यक्रम | अकादमिक सत्र, 2021-22 में दाखिल छात्रों की संख्या |
---|---|
एल.एल.एम.- 1 वर्ष (पूर्णकालिक) | 41 |
स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम (वैकल्पिक विवाद समाधान, कारपोरेट विधि और प्रबंधन, साइबर विधि और बौद्धिक संपदा अधिकार विधि) | 235 |
विधि में पीएच.डी. सीटों की संख्या | 38* |
छात्रों की कुल संख्या | 314 |
* अभी 10 छात्र नामांकित होने हैं।
संस्थान में एक पी.एच.डी. कार्यक्रम है, जिसमें आज की तारीख तक 28 छात्र नामांकित हैं।
“साइबर विधि”(39वां बैच) और “बौद्धिक संपदा अधिकार तथा इंटरनेट युग में सूचना प्रौद्योगिकी” (50वें बैच) का तीन माह की अवधि का ई-लर्निंग पाठ्यक्रम दिनांक 19 अक्टूबर, 2021 को पूरा हुआ।
साइबर विधि में ऑनलाइन प्रमाण-पत्र पाठ्यक्रम के 40वें बैच के लिए 64 छात्र और ऑनलाइन बौद्धिक संपदा अधिकार पाठ्यक्रम के 51वें बैच के लिए 59 छात्रों का दाखिला हुआ है।
संस्थान की गतिविधियां: भारतीय विधि संस्थान द्वारा आयोजित व्याख्यान/ सम्मेलन/ वार्ता/ सेमिनार की वेब श्रृंखला
15 जनवरी, 2021 को 'जनहित याचिका-औसत नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए भारतीय संविधान का महत्व' पर वेबिनार'
17 जनवरी, 2021 को 'महिला कैदी: महिला कैदियों पर दुनिया का पहला फोकस' पर वेबिनार
"इनोवेटर जीनियस: वी.आर. कृष्णा अय्यर और सतर्क नायक - पी.एन. भगवती” 19 जनवरी 2021 को वेबिनार
आज़ादी का अमृत महोत्सव: भारत की आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न: 12 मार्च, 2021 को वार्ता
स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उत्सव के विषय के साथ 'आजादी का अमृत महोत्सव' की पहल के एक भाग के रूप में, देश भर में कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं और भारतीय विधि संस्थान ने निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किये हैं:
(i) 12 मार्च, 2021 को "दांडी मार्च का ऐतिहासिक महत्व" और "महात्मा गांधी द्वारा भारत के लोगों से 1882 के भारतीय नमक अधिनियम का बहिष्कार करने का आह्वान" विषय पर एक वार्ता जो भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में "आजादी का अमृत महोत्सव" मनाने के भाग के रूप में थी।
(ii) 16 अप्रैल, 2021 को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृति में सम्मेलन।
(iii) 25 सितंबर, 2021 को "संवैधानिक सिद्धांतों और संवैधानिक संस्कृतियों पर विचार" पर आभासी वार्ता।
(iv) 30 सितंबर, 2021 को "द लिमिट्स ऑफ लिबर्टी: राइट्स एंड ड्यूटीज इन द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन" पर आभासी वार्ता।
(v) 05 अक्टूबर, 2021 को "ब्राजील के सर्वोच्च न्यायालय की उपलब्धियों और चुनौतियों में मानवाधिकार" पर आभासी वार्ता।
(vi) 11 अक्टूबर, 2021 को "न्याय तक पहुंच: समाज की अधूरी न्याय आवश्यकताओं के लिए विधि के छात्रों को संवेदनशील बनाना" पर आभासी वार्ता।
(vii) 20 अक्टूबर, 2021 को "कानून के पर्यावरण नियम और पर्यावरण के संरक्षण" पर आभासी वार्ता।
(viii) 26 अक्टूबर, 2021 को "भारत में लैंगिक समानता और श्रम कानून" पर आभासी वार्ता
(ix) 31 अक्टूबर, 2021 को "राष्ट्रीय एकता दिवस और भारत में कानूनी अनुसंधान के लिए समकालीन अनिवार्यता" पर आभासी वार्ता।
(x) 3 नवंबर, 2021 को "इंटर-अमेरिकन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में स्वदेशी के अधिकार और प्रकृति के अधिकारों के साथ संबंध" पर आभासी वार्ता।
(xi) 26 नवंबर, 2021 को "भारतीय संविधान: जीवित दस्तावेज़" पर आभासी वार्ता
भारतीय स्वतंत्रता के 75 गौरवशाली वर्ष पूरे होने का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पहल आजादी का अमृत महोत्सव का उत्सव मनाने के लिए भारतीय विधि संस्थान ने भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से, 9 अगस्त, 2021 से 13 अगस्त, 2021 तक और फिर 8 नवंबर, 2021 से 14 नवंबर, 2021 तक व्याख्यानों की एक सप्ताह भर की श्रृंखला का आयोजन किया।
हमारे राष्ट्र के शानदार संविधान के कामकाज पर फिर से विचार करने के लिए, उसी परियोजना के एक हिस्से के रूप में, "भारतीय संविधान का प्रगतिशील प्रभाव" विषय पर 19 अगस्त, 2021 को एक आभासी वार्ता आयोजित की गई थी।
प्रो. (डॉ.) डीइल्टन रिबेरो ब्रासिल द्वारा 7 सितंबर, 2021 को "कोविड-19 के दौरान न्यायिक सक्रियता, मौलिक अधिकार और ब्राज़ीलियाई सुप्रीम कोर्ट हाउस डिसीजन" पर वेबिनार।
प्रो. (डॉ.) आर. वेंकट राव द्वारा 9 सितंबर, 2021 को "विधि, साहित्य और जीवन" पर वेबिनार।
संस्थान ने विधि और न्याय मंत्रालय के निर्देश के अनुसार भारत के संविधान की 70 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए "भारत के संविधान और मौलिक कर्तव्यों का सिंहावलोकन" को कवर करते हुए 30 मिनट की ऑडियो-विजुअल डॉक्यूमेंट्री क्लिपिंग भी तैयार की। इन ऑडियो विजुअल्स को संस्थान के साथ-साथ विधि कार्य विभाग की वेबसाइटों पर रखा गया था। स्कूलों और कॉलेजों द्वारा अपने संबंधित छात्रों को इसकी स्क्रीनिंग के लिए मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
दौरे: माननीय केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री, श्री किरेन रीजीजू ने 17 सितंबर, 2021 को भारतीय विधि संस्थान का दौरा किया तथा हाशिए के समूहों के लिए न्याय तक पहुंच आसान बनाने के लिए विधि शिक्षा में सुधार और विधि शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं की भूमिका के बारे में चर्चा करने के लिए संकाय सदस्यों और प्रशासन के साथ बातचीत की।
माननीय विधि और न्याय राज्य मंत्री, प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने 8 अक्टूबर, 2021 को भारतीय विधि संस्थान का दौरा किया।
माननीया शिक्षा राज्य मंत्री, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने 11 नवंबर, 2021 को भारतीय विधि संस्थान का दौरा किया।
पुस्तक विमोचन: संस्थान ने निम्नलिखित पुस्तकों का विमोचन किया:
"क्लिनिकल एंड कंटिनुइग लीगल एजुकेशन: ए रोडमैप फॉर इंडिया" - प्रो. (डॉ.) एस. शिवकुमार, डॉ. प्रकाश शर्मा और अभिषेक कुमार पांडे द्वारा संपादित
"रीथिंकिंग लॉ एंड वायलेंस" - प्रो. डॉ. ज्योति डोगरा सूद और डॉ. लतिका वशिष्ठ द्वारा संपादित।
"डिस्पेलिंग रेटोरिक: इस्लाम में तलाक और लिंग असमानता का कानून" - प्रो डॉ मनोज कुमार सिन्हा और प्रो डॉ फुरकन अहमद द्वारा संपादित।
24 सितंबर, 2021 को शाम 4:00 बजे भारतीय विधि संस्थान में "लॉ ऑफ सेडिशन इन इंडिया एंड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन" पुस्तक के विमोचन के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था।
प्रकाशन: रिपोर्ट की अवधि के दौरान भारतीय विधि संस्थान द्वारा निम्नलिखित शोध प्रकाशन जारी किये गये हैं:-
जर्नल आफ द इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट (जीली) - राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय महत्व के समकालीन विधिक मुद्दों को शामिल करने वाले शोध लेख का त्रैमासिक प्रकाशन।
आईएलआई न्यूजलेटर- वर्ष के दौरान तथा आगामी गतिविधियों सहित संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों से संबंधित त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन।
इंडेक्स टू लीगल पिरियाडिकल्स – इसका वार्षिक प्रकाशन होता है और इसमें भारतीय विधि संस्थान पुस्तकालय में प्राप्त होने वाले (सदस्यता, अदला-बदली द्वारा या अतिरिक्त) विधि और संगत क्षेत्रों से संबंधित पत्रिकाएं, अनुक्रमणिकाएं (इयर बुक सहित अन्य वार्षिक पत्रिकाएं) शामिल है।
एनुअल सर्वे आफ इंडियन लॉ- - वार्षिक रूप से प्रकाशित और संस्थान का एक बहुत ही प्रतिष्ठित प्रकाशन है। इसमें भारतीय कानून का वार्षिक सर्वेक्षण शामिल होता है जिसमें महत्वपूर्ण कानून की हर शाखा में नवीनतम रुझान शामिल होते हैं।
प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार सिन्हा और आर्य ए. कुमार द्वारा पुस्तक शीर्षक ह्यूमन राइट्स ऑफ वल्नरेबल ग्रुप्स: नेशनल एंड इंटरनेशनल पर्सपेक्टिव्स
आईएलआई कानून की समीक्षा (ग्रीष्मकालीन) और (शीतकालीन)
गतिविधियों का पूर्वानुमानः
आगामी प्रकाशन
जर्नल ऑफ द इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट (जिली) खंड 63 (जुलाई-सितंबर 2021)
आईएलआई न्यूज लेटर खंड XXIII, अंक III, (जुलाई-सितंबर 2021)
* महामारी की स्थिति के कारण उपरोक्त त्रैमासिक एवं वार्षिक प्रतिवेदन/पत्रिका का प्रकाशन अभी बाकी है।
महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए संस्थान ने ऑनलाइन बौद्धिक गतिविधियों और आभासी मंच के द्वारा सभी कक्षाओं को आयोजित करने में अकादमी के सदस्यों को लगाया। संस्थान मानव संसाधन और विकास मंत्रालय, भारत सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निदेशों के क्रम में इस वित्त वर्ष की शेष अवधि के दौरान वेबिनार की श्रृंखलाएं आयोजित करता रहेगा।
आजादी का अमृत महोत्सव: भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न:
स्वतंत्रता के अमृत के उत्सव के विषय के साथ 'आजादी का अमृत महोत्सव' की पहल के एक भाग के रूप में, यह संस्थान चालू वित्त वर्ष के शेष भाग के दौरान भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के संयुक्त सहयोग से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना जारी रखेगा।
संगोष्ठी/सम्मेलन/प्रशिक्षण कार्यक्रम/कार्यशाला:
यह संस्थान वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के दौरान पुलिस अधिकारियों, जेल अधिकारियों, मीडिया कर्मियों और न्यायिक अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करेगा।
2.15 शाखा सचिवालय, कोलकाता
2021-2022 के दौरान, शाखा सचिवालय, कोलकाता का नेतृत्व अपर सरकारी अधिवक्ता द्वारा किया गया है जो प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं। शाखा सचिवालय, कोलकाता दूसरी और तीसरी मंजिल, मध्य भवन, 11, स्ट्रैंड रोड, कोलकाता-700001 से कार्य कर रहा है। इसके आठ खंड हैं, अर्थात सलाह, मुकदमा, प्रशासन, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण/ निम्न न्यायालय, रोकड़ और लेखा, हिंदी, काउंसेल फीस बिल, और प्राप्ति व निर्गम अनुभाग। इसके अतिरिक्त, इस शाखा सचिवालय में एक पुस्तकालय है, जिसमें 10800 से अधिक पुस्तकें हैं।
2. शाखा सचिवालय, कोलकाता का मुकदमा खंड कलकत्ता उच्च न्यायालय में आरंभिक और अपीलीय, दोनों तरह से सभी मुकदमों की देखरेख करता है। यह शाखा सचिवालय 12 राज्यों और एक संघ राज्य क्षेत्र के माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय, पोर्ट ब्लेयर, जलपाईगुड़ी स्थित अपने सर्किट बेंच और विभिन्न अधिकरणों, जिला फोरमों, राज्य आयोगों और निम्न न्यायालयों में भारत संघ के मुकदमा कार्य की देखरेख कर रहा है। यह शाखा सचिवालय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, कोलकाता पीठ और उसके कटक, गुवाहाटी, पटना के अन्य पीठों तथा अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सर्किट पीठों में केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों को भी देखता है। शाखा सचिवालय, कोलकाता सीजीआईटी, माध्यस्थम, एनजीटी,एनसीएलटी, एनजीटी, सीईएसटीएटी, राज्य उपभोक्ता फोरम और डीआरएटी, डीआरटी, उपभोक्ता फोरम, निम्न न्यायालय आदि के समक्ष मंत्रालय/विभागों की ओर से मामले के लिए पेश या विऱोध के लिए सरकारी पैनल काउंसेलों नियुक्त करता है। यह शाखा सचिवालय संबंधित मंत्रालयों / विभागों से विशेष अनुरोध प्राप्त होने पर मध्यस्थों के समक्ष माध्यस्थम मामलों में पैनल काउंसेल भी नियुक्त करता है।
3. इस शाखा सचिवालय का सलाह खंड आयकर विभाग, फेरा / फेमा, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अन्य सभी मंत्रालयों/विभागों जिनके कार्यालय पश्चिम बंगाल, असम, नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित हैं और अन्य केंद्र सरकार के कार्यालय जो पूर्वी क्षेत्र के बाहर स्थित हैं, लेकिन कार्रवाई का कारण कोलकाता में है या कोलकाता में उनका मुख्यालय है (जैसे आयुध निर्माणी बोर्ड) सहित केंद्रीय सरकार के अन्य सभी मंत्रालयों/विभागों को संबंधित विभागों/मंत्रालयों से संदर्भ प्राप्त होने पर विधिक सलाह देता है।
4. 2021-2022 के दौरान, सलाह खंड का नेतृत्व अपर सरकारी अधिवक्ता कर रहे हैं। जनवरी, 2021 से 6 दिसंबर, 2021 के दौरान, विधिक सलाह के लिए कुल 815 संदर्भ प्राप्त हुए और शाखा सचिवालय, कोलकाता द्वारा निपटा गया। सभी सलाह निर्धारित अवधि के भीतर प्रदान की गई थीं और यह अनुमान है कि लगभग 250 संदर्भ 7 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान प्राप्त किए जाएंगे।
5. मुकदमा खंड में, सरकारी अधिवक्ता, जो नियमित कर्मचारी होते हैं, सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश XXVII के नियम 8 ख (क) के अर्थ में अभिलिखित-अधिवक्ता और सरकारी अभिवक्ता के तौर पर कार्य करते हैं और इस उद्देश्य के लिए नियोजित किये गये पैनल काउंसेल के माध्यम से मामले पर सुनवाई/बहस करवाते हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय के अपर सॉलिसिटर जनरल महत्वपूर्ण मामलों में उपस्थित हुए, जिनकी सहायता शाखा सचिवालय द्वारा नियुक्त पैनल काउंसेल ने की।
6. जनवरी, 2021 से 6 दिसंबर, 2021 के दौरान इस शाखा सचिवालय, कोलकाता में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और स्वायत्त निकाय आदि की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय से संबंधित 2690 संदर्भ प्राप्त हुए और कलकत्ता उच्च न्यायालय की वेबसाइट काउंसलों / विभागों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2184 मामले निपटाये गये। अनुमान है कि 7 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान लगभग 870 संदर्भ प्राप्त होंगे और लगभग 400 मामलों का निपटारा किया जाएगा। जनवरी, 2021 से 6 दिसंबर, 2021 के दौरान राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरम, कोलकाता बेंच के संबंध में कुल 55 संदर्भ प्राप्त हुए और अनुमान है कि 7 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान लगभग 25 संदर्भ प्राप्त होंगे।
7. जनवरी, 2021 से 6 दिसंबर, 2021 के दौरान माननीय कैट, कोलकाता और पोर्ट ब्लेयर बेंच के समक्ष सेवा मामलों पर काउंसलों की नियुक्ति के लिए शाखा सचिवालय, कोलकाता में कुल 619 मामले प्राप्त हुए और यह अनुमान है कि लगभग 7 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान 200 संदर्भ प्राप्त होंगे। जनवरी, 2021 से 6 दिसंबर, 2021 के दौरान निपटाए गए मध्यस्थता मामलों सहित नीचे की अदालतों में मामलों की संख्या 147 थी, यह अनुमान है कि 7 दिसंबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान लगभग 50 संदर्भ प्राप्त होंगे। साथ ही, इस शाखा सचिवालय के अधिकारियों ने मुकदमे के सुचारू संचालन और मामलों के शीघ्र निपटान के लिए विभागीय अधिकारियों और नियुक्त काउंसेलों के साथ सम्मेलन किया था।
8. शाखा सचिवालय, कोलकाता में आरटीआई मामलों को देखने के लिए अपील प्राधिकारी (अपर सरकारी अधिवक्ता), केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी और एसीपीआईओ हैं। 2021-2022 के दौरान 6 दिसंबर, 2021 तक कुल 29 आरटीआई संदर्भ और 4 अपीलें प्राप्त हुईं और निर्धारित समय के भीतर उनका विधिवत निपटान किया गया।
9. 2021-2022 के दौरान पैनल वकील द्वारा प्रस्तुत पेशेवर शुल्क बिलों के दावों को तेजी से संसाधित किया गया है और पेशेवर शुल्क और पश्चिम बंगाल राज्य के स्थायी वकील के लिए रिटेनरशिप शुल्क के भुगतान के लिए 2,00,00,000/- रुपये स्वीकृत संशोधित अनुमान है। 6 दिसंबर, 2021 तक उन्हें भुगतान करने के लिए 1,74,90,943/- रुपये की राशि का उपयोग किया गया है। बजट की शेष राशि का भुगतान अगले तीन महीनों 2021-2022 में किया जाएगा।
10. इस शाखा सचिवालय में राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रभावी प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए हिंदी अनुभाग है। जनवरी, 2021 से 6 दिसम्बर, 2021 के दौरान कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए राजभाषा समन्वय समिति की सभी तिमाही बैठकें नियमित रूप से आयोजित हुईं और कोविड-19 लॉकडाउन नियमों का पालन करते हुए हिंदी कार्यशालाओं का नियमित रूप से आयोजन किया गया है। हिंदी शिक्षण योजना के तहत अधिकांश कर्मचारियों ने हिंदी में कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर लिया था। नियमित प्रकृति का कार्य हिन्दी में करने के लिए संदर्भ सामग्री तैयार कर अनुभागों में वितरित कर दी गई है। इस शाखा सचिवालय में सितंबर 2021 के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 'हिंदी पखवाड़ा' भी बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। 'हिंदी पखवाड़ा' के दौरान छह प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और विजेताओं को पुरस्कार दिये गये। आवश्यक प्रतिवेदन निर्धारित प्रपत्र में नियमित आधार पर मुख्य सचिवालय को अग्रेषित किये जा रहे हैं। शाखा सचिवालय, कोलकाता के विभिन्न स्टांप, अर्जित अवकाश, अर्ध वेतन अवकाश और परिवर्तित अवकाश संबंधी विवरण को पहले ही 'द्विभाषी' बना दिया गया है।
11. शाखा सचिवालय, कोलकाता में एन.आई.सी. द्वारा उपलब्ध विभिन्न सॉफ्टवेयरों का प्रयोग कर विभिन्न लेखा और बजट संबंधी कार्य ऑनलाइन किया जा रहा है। साथ ही, यहां एन.आई.सी. द्वारा विकसित ‘पी.एफ.एम.एस.’ पोर्टल आधारित भुगतान प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है। पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों, सरकारी काउंसेलों और अन्य सेवा प्रदाताओं को ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है। इसके साथ-साथ, स्रोत पर काटे गये कर को प्रत्येक माह 24जी इलैक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में तैयार कर आयकर विभाग को प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके बाद, टीडीएस का त्रैमासिक रिटर्न की इलैक्ट्रॉनिक 24 क्यू और 26 क्यू में तैयार तथा सीडी के माध्यम से टीआईएन सुविधा केंद्र द्वारा आयकर विभाग को प्रस्तुत किया जाता है। जीएसटी-टीडीएस के संबंध में नये प्रारूप में कटौती की जाती है और जीएसटी प्राधिकरण को रिटर्न दाखिल किया जाता है। वेतन और लेखा कार्यालय को आवधिक रिपोर्ट सीधे ऑनलाइन भेजी जाती है। सरकारी क्वार्टरों की लाइसेंस फीस का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से किया जाता है। वस्तुओं, स्टेशनरी और अन्य सेवाओं की प्राप्ति के लिए सरकार की ई—प्रोक्योरमेंट वेबसाइट https://gem.gov.in का अत्यधिक प्रयोग हो रहा है। पेंशन के नये मामलों को ‘भविष्य’ ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से निपटाया जा रहा है।
12. इस शाखा सचिवालय, कोलकाता का पुस्तकालय, जिसमें 10800 से अधिक पुस्तकें और पत्रिकाएँ हैं, अपनी योग्यता साबित कर रहा है और मुकदमेबाजी में उपयोग के लिए और साथ ही साथ सरकारी मंत्रालयों/ विभागों की सलाह का पालन करने में बहुत मददगार है। इस शाखा सचिवालय द्वारा ऑनलाइन विधि पुस्तकालय 'मनुपात्रा' और 'एससीसी ऑनलाइन' को भी सब्सक्राइब किया गया है।
13. शाखा सचिवालय, कोलकाता की पिछली लेखा-परीक्षा लेखापरीक्षा महानिदेशक: केन्द्रीय, कोलकाता के कार्यालय के लेखा-परीक्षा दल द्वारा दिनांक 01.04.2016 से 31.03.2018 तक की गयी थी। लेखा-परीक्षा दल द्वारा लेखों के आवधिक निरीक्षण के क्रम में छ: लेखा आपत्तियां की गयी थीं। इस संबंध में कार्रवाई की जा चुकी है और ऑडिट आपत्ति के पैरा को हटाने हेतु ऑडिट को सूचित कर दिया गया है।
14. शाखा सचिवालय कोलकाता में एन.आई.सी. द्वारा विकसित ‘लिम्ब्स’ सॉफ्टवेयर को भी प्रयोग में लाया जा रहा है। मुकदमा अनुभाग द्वारा विधि मंत्रालय से संबंधित मामलों को उक्त पोर्टल में विधिवत अद्यतन किया जाता है। पैनल काउंसल को एलआईएमबीएस पोर्टल में लॉगिन आईडी बनाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके थे ताकि वे कोर्ट के आदेश अपलोड कर सकें और एलआईएमबीएस के माध्यम से शुल्क बिलों का दावा कर सकें।
15. आजादी का अमृत महोत्सव 8 नवंबर, 2021 से 14 नवंबर, 2021 तक शाखा सचिवालय, कोलकाता में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया है। उक्त कार्यक्रम के दौरान भारतीय स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये जैसे वृक्षारोपण, पैनल अधिवक्ताओं के साथ कार्यशाला का आयोजन, भारत की पहली संविधान सभा की तस्वीरों का प्रदर्शन, पोस्टर और बैनर आदि का प्रदर्शन। इसके अलावा, 08.11.2021 से 14.11.2021 की अवधि के दौरान इस शाखा सचिवालय के सभी आधिकारिक संचार में सबसे ऊपर आजादी का अमृत महोत्सव का हिंदी और अंग्रेजी लोगो के साथ मुद्रित किये गये थे।
16. भारत के संविधान की प्रस्तावना 26 नवंबर, 2021 को संविधान दिवस के अवसर पर शाखा सचिवालय, कोलकाता के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा पढ़ी गई थी। सभी कर्मचारियों ने संबंधित वेबसाइट से प्रस्तावना पढ़ने के संबंध में प्रमाण पत्र डाउनलोड कर लिया है।
17. 'स्वच्छता अभियान' के तहत शाखा सचिवालय, कोलकाता में नियमित रूप से सफाई अभियान जारी है। 16.10.2021 से 31.10.2021 तक स्वच्छता पखवाड़ा के दौरान, शाखा सचिवालय, कोलकाता के सभी अनुभागों ने प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा जारी रिकॉर्ड प्रतिधारण अनुसूची के अनुसार फाइलों की समीक्षा की है ताकि समीक्षा की गई फाइलों को हटा दिया जा सके या अन्यथा बरकरार रखा जा सके ताकि कार्यालय की सफाई हो। उक्त अवधि के दौरान 11191 फाइलों की समीक्षा की गई। स्वच्छता पखवाड़ा में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा 18.10.2021 को शपथ ली गई। अधिकारियों और कर्मचारियों के निरंतर प्रयास के कारण इस शाखा सचिवालय को स्वच्छ और सुंदर रूप मिला है तथा इसे और बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी है।
2.16 शाखा सचिवालय, बंगलूरू
शाखा सचिवालय, बंगलूरू की अधिकारिता के अंतर्गत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों में स्थित केंद्रीय सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के मुकदमों का संचालन करना और उन्हें सलाह देना है। शाखा सचिवालय, बंगलूरू के प्रधान एक सहायक विधि सलाहकार हैं।
सलाह: शाखा सचिवालय, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में स्थित केंद्रीय सरकार के सभी विभागों और कार्यालयों को विधिक सलाह देता है। वर्ष 01.01.2021 से 30.11.2021 के दौरान सलाह के लिए 530 संदर्भ प्राप्त हुए और दिनांक 31.03.2020 तक की शेष अवधि में लगभग 200 सलाह के मामले प्राप्त होने की संभावना है। सलाह कार्य में, उच्च न्यायालयों, अर्थात् कर्नाटक उच्च न्यायालय, बंगलूरू तथा कर्नाटक उच्च न्यायालय के धारवाड़ और कलबुरगी स्थित पीठों तथा अमरावती स्थित आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और हैदराबाद स्थित तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष फाइल किये जाने वाले अभिवचनों, अर्थात् आक्षेपों के विवरणों, प्रति शपथपत्रों, केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष फाइल किये जाने वाले उत्तर के विवरणों, जिला न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों तथा विभिन्न अन्य अधिकरणों के समक्ष फाइल किये जाने वाले लिखित विवरणों, प्रति-शपथपत्रों, प्रति-विवरणों और उनके विभिन्न पाठों की जांच और उनकी विधीक्षा करना शामिल है।
विशेष अनुमति याचिका, अपील, पुनर्विलोकन आदि फाइल करने की व्यवहार्यता की जांच करना, विभागों को, उनकी कार्रवाइयों की कानूनी मजबूती के संबंध में मार्गदर्शन करते हुए विधियों का निर्वचन करना और जब कभी आवश्यक हो, प्रशासनिक विभागों के साथ विचार-विमर्श करना आदि कार्य किये जाते हैं।
मुकदमा कार्य: यह शाखा सचिवालय, कर्नाटक उच्च न्यायालय, बंगलूरु में और उसके धारवाड़ व कलबुरगी स्थित सर्किट पीठों में और अमरावती स्थित आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय और हैदराबाद स्थित तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय, बंगलूरू नगर और कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में स्थित अधीनस्थ न्यायालयों और इन राज्यों के केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में केंद्रीय सरकार के विभागों और कार्यालयों के संपूर्ण मुकदमा संबंधी कार्य का पर्यवेक्षण करता है। यह शाखा सचिवालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरमों और राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोगों, केंद्रीय सरकार औद्योगिक अधिकरण और ऋण वसूली अधिकरण में सरकारी मुकदमों का कार्य भी देखता है। दिनांक 01.01.2021 से 30.11.2021 के दौरान मुकदमों से संबंधित लगभग 3340 मामले प्राप्त हुए, जिनमें काउंसेलों के नामनिर्देशन, काउंसेलों के फीस बिल और मुकदमों से संबंधित सामान्य पत्राचार शामिल है और दिनांक 31.03.2022 तक की शेष अवधि में लगभग 1250 मुकदमों के मामले प्राप्त होने की संभावना है। इस संबंध में शाखा सचिवालय द्वारा किये गये कार्यों में काउंसेलों की नियुक्ति/नामनिर्देशन करना तथा केंद्र सरकार के काउंसेलों के बीच मुकदमों का वितरण करना शामिल है।
काउंसेलों के फीस बिल: यह शाखा सचिवालय काउंसेलों के फीस संबंधी बिलों पर स्वयं कार्रवाई करता है और कर्नाटक उच्च न्यायालय, बंगलूरु में भारत के सहायक महासालिसिटर और केंद्रीय सरकारी काउंसेल को अपनी केंद्रीकृत निधि से सीधे फीस का भुगतान करता है। दिनांक 1.1.2021 से 30.11.2021 की अवधि के दौरान कुल 325 फीस बिल प्राप्त हुए और 31.03.2022 तक की शेष अवधि के दौरान लगभग 150 और फीस बिल प्राप्त होने की संभावना है। जहां तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के धारवाड़ और गुलबर्ग के सर्किट पीठों का संबंध है, काउंसेल की फीस शाखा सचिवालय, बंगलूरू द्वारा नहीं बल्कि उस विभाग द्वारा वहन की जाती है, जिसकी ओर से मुकदमे का संचालन किया जाता है। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में केंद्रीय सरकारी पैनल कांउसेलों की फीस का भुगतान संबंधित विभाग करते हैं। अत: यह शाखा सचिवालय काउंसेलों की फीस के बिलों को प्रमाणित नहीं कर रहा है। तथापि, इस संबंध में जब भी कोई अनुरोध प्राप्त होता है, तो इस मंत्रालय द्वारा उसका स्पष्टीकरण किया जाता है।
हिंदी माह का आयोजन: अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करके, शाखा सचिवालय, विधि कार्य विभाग, बेंगलुरु में हिंदी माह मनाया गया। सभी ने 5 प्रतियोगिताओं में उत्साह के साथ सक्रिय रूप से भाग लिया, जो हिंदी शिक्षण योजना, गृह मंत्रालय, बेंगलुरु के सहायक निदेशक की सहायता से आयोजित की गईं जो प्रतियोगिताओं के निर्णायक थे और उन्होंने भाषण दिया और विजेताओं को पुरस्कार वितरित किये।
सतर्कता जागरुकता सप्ताह: सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन हर साल सीवीसी द्वारा बहु-प्रचारित दृष्टिकोण का एक हिस्सा है, जो इस देश में भ्रष्टाचार की रोकथाम और इसके खिलाफ लड़ाई में जनता को जागरूक करता है।
शाखा सचिवालय, विधि कार्य विभाग, बेंगलुरु ने 26 अक्टूबर, 2021 से 1 नवंबर, 2021 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह, 2021 मनाया। श्री बी. नंद कुमार, सहायक विधि सलाहकार और प्रभारी ने 26 अक्टूबर, 2021 को सुबह 11 बजे अपने कक्ष में सत्यनिष्ठा की शपथ दिलवायी। सभी अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया तथा शारीरिक दूरी और कोविड-19 महामारी के लिए निर्धारित अन्य सुरक्षा उपायों की पालना करते हुए सत्यनिष्ठा की शपथ ली।
इसके अलावा, भ्रष्टाचार पर केंद्रीय सतर्कता आयोग, नयी दिल्ली के जनहित प्रकटीकरण और मुखबिर संरक्षण संकल्प, 2004 (पीआईडीपीआई) के तहत पोस्टर शाखा सचिवालय, बेंगलुरु द्वारा तैयार किये गये थे और व्यापक प्रचार के लिए केंद्रीय सदन कार्यालय परिसर, बेंगलुरु कार्यालय के अंदर प्रदर्शित किये गये थे।
पुरानी फाइलों को हटाने के लिए विशेष अभियान: शाखा सचिवालय, बेंगलुरु ने विशेष अभियान के तहत पुरानी फाइलों की समीक्षा और पहचान करके सूची बनाकर 7000 से अधिक फाइलों को हटा दिया।
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह: अक्टूबर, 2021 को राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के रूप में मनाया गया। शाखा सचिवालय द्वारा आधिकारिक कार्य के लिए आधिकारिक एनआईसी ईमेल आईडी के उपयोग, कवच एप्लिकेशन को स्थापित करने, आधिकारिक पासवर्ड और ओटीपी को किसी के साथ साझा नहीं करने और कंप्यूटर को खुला नहीं छोड़ने के महत्व पर जोर देते हुए एक पोस्टर तैयार किया गया और प्रदर्शित किया गया।
राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन: शाखा सचिवालय, विधि कार्य विभाग, बेंगलुरु ने कोविड-19 महामारी के लिए निर्धारित शारीरिक दूरियों और अन्य सुरक्षा उपायों के मानदंडों का पालन करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया था।
श्री बी. नंद कुमार, सहायक विधि सलाहकार और प्रभारी ने 29 अक्टूबर, 2020 को अपने कक्ष में शपथ दिलवायी। सभी अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और राष्ट्रीय एकता की शपथ ली।
संविधान दिवस का आयोजन: 26 नवंबर, 2021 को संविधान दिवस के रूप में मनाया गया और सभी अधिकारी और कर्मचारी काविड-19 महामारी के लिए निर्धारित शारीरिक दूरियों और अन्य सुरक्षा उपायों के मानदंडों की पालना करते हुए सहायक विधि सलाहकार और प्रभारी के कक्ष में एकत्र हुए और भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ी।
आजादी का अमृत महोत्सव: स्वतंत्रता के 75वें वर्ष (आज़ादी का अमृत महोत्सव) का जश्न मनाने के लिए, एक वरिष्ठ पैनल वकील को शाखा सचिवालय, बेंगलुरु के अधिकारियों और कर्मचारियों को "भारत की स्वतंत्रता और न्यायपालिका" पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। शाखा सचिवालय द्वारा "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" नारे के साथ अंग्रेजी और हिंदी दोनों में पोस्टर तैयार किये गये हैं तथा अधिकतम दृश्यता और प्रचार के लिए प्रमुख स्थानों पर कार्यालय परिसर और केंद्रीय सदन कार्यालय परिसर में प्रदर्शित किये गये हैं।
2.17 शाखा सचिवालय, चेन्नै
चेन्नै स्थित शाखा सचिवालय के प्रधान उप विधि सलाहकार हैं।
सलाह: यह शाखा सचिवालय, तमिलनाड़ु, केरल राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र पुडुचेरी में स्थित केन्द्रीय सरकार के सभी कार्यालयों को विधिक सलाह देता है।
सलाह के लिए लगभग 608 संदर्भ प्राप्त हुए और निपटाए गये तथा 01 जनवरी 2022 से 31 मार्च 2022 तक की अवधि में लगभग 150 संदर्भ प्राप्त होने की संभावना है।
मुकदमा कार्य: शाखा सचिवालय, चेन्नै मद्रास उच्च न्यायालय और उसके मदुरै पीठ और केरल उच्च न्यायालय में केंद्रीय सरकार के सम्पूर्ण मुकदमा कार्य (रेल, आयकर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क आदि के मामलों को छोड़कर) की देखरेख करता है। यह तमिलनाडु और केरल में नगर सिविल न्यायालयों, लघु वाद प्रेसिडेंसी न्यायालय, अधीनस्थ न्यायालयों, अधिकरणों, उपभोक्ता फोरमों आदि में भी केंद्रीय सरकार के मुकदमा कार्य की देखरेख करता है। इसके अलावा, शाखा सचिवालय, चेन्नै को चेन्नै स्थित केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के मद्रास पीठ और केरल में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के एर्नाकुलम पीठ के समक्ष केंद्रीय सरकार का मुकदमा कार्य भी सौंपा गया है। इस अवधि के दौरान मुकदमों के लगभग 5265 मामले प्राप्त हुए और उनका निपटान किया गया, जिनके अंतर्गत उच्च न्यायालय/सीएटी/एलसी आदि की आवतियां, फीस बिल और खोली गयी फाइलें भी शामिल हैं।
शाखा सचिवालय केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों और विभागों को उनके मामलों की महत्वपूर्ण गतिविधियों और मुकदमों के परिणामों से अवगत रखता है और यदि आवश्यक होता है तो आगे के लिए उपयुक्त सलाह भी देता है। तमिलनाडु और केरल में न्यायालयों/ अधिकरणों/ उपभोक्ता मंचों/ माध्यस्थम मामलों में फाइल किये जाने वाले अभिवचनों, शपथ पत्रों आदि की जांच की जाती है और मसौदे के चरण में उनकी विधीक्षा की जाती है। शाखा सचिवालय, चेन्नै के कार्यों में, काउंसेलों का नामांकन/ नियोजन करना और केंद्रीय सरकार के संबंधित विभागों से मामले से संबंधित सामग्री एकत्र करना तथा उसे काउंसेल को सौंपने से पूर्व दस्तावेजों की कानूनी दृष्टि से आवश्यक जांच करना भी शामिल है।
काउंसेलों के फीस बिल: यह शाखा सचिवालय मद्रास उच्च न्यायालय और उसके मदुरै पीठ के समक्ष मामलों में भारत के अपर महासालिसिटर, सहायक महासालिसिटर, ज्येष्ठ पैनल काउंसेल और केन्द्रीय सरकार के स्थायी काउंसेलों को सीधे अपनी केन्द्रीयकृत निधि में से स्वयं फीस का संदाय करता है। संबंधित अवधि के दौरान यानी 1 जनवरी 2021 से 15 दिसंबर 2021 तक, उच्च न्यायालय, कैट और निचली अदालत से संबंधित लगभग 2609 शुल्क बिलों पर कार्रवाई की गई और रु. काउंसल को 3,65,08,687/- का भुगतान किया गया, जिसमें रिटेनर शुल्क का भुगतान भी शामिल है।
केन्द्र सरकार के काउंसेलों के केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष उपसंजात होने के फीस के बिलों की जांच की जाती है और उन्हें प्रमाणित करने के पश्चात संदाय के लिए संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है।
21 जून, 2021 को सातवें ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ का आयोजन
कोविड -19 महामारी की स्थिति को देखते हुए सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया गया कि वे उनके संबंधित निवास स्थान पर उनके परिवार सहित दिनांक 21.06.2021 को 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' समारोह में भाग लें ताकि वे कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें।
सितम्बर, 2021 में ‘हिंदी माह’ का आयोजन
मुख्य सचिवालय के राजभाषा एकक के निर्देशों के अनुसरण में सितम्बर, 2021 में हिंदी माह मनाया गया। दिन-प्रतिदिन सरकारी कार्यों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उप निदेशक, हिन्दी शिक्षण योजना, चेन्नई के मार्गदर्शन में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इन प्रतियोगिताओं एवं अन्य संबंधित गतिविधियों में शाखा सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान उप विधि सलाहकार/प्रभारी शाखा सचिवालय एवं उप निदेशक, हिन्दी शिक्षण योजना ने दिन-प्रतिदिन के सरकारी कार्यों में हिन्दी के प्रयोग को बेहतर बनाने के लिए बहुमूल्य सुझाव दिये।
'आजादी का अमृत महोत्सव' का अवलोकन
कार्यालय परिसर के विभिन्न स्थानों और यहां तक कि आधिकारिक पत्राचार की फाइलों पर भी 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' (द्विभाषी - हिंदी और अंग्रेजी) का आधिकारिक लोगो लगाया गया।
'सतर्कता जागरूकता सप्ताह' का आयोजन
26 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2021 तक केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार इस शाखा सचिवालय में 'स्वतंत्र भारत @ 75 सत्यनिष्ठा के साथ आत्मनिर्भरता' विषय के साथ 'सतर्कता जागरूकता सप्ताह' मनाया गया।
दिनांक 26 अक्तूबर, 2021 को उप विधि सलाहकार/प्रभारी द्वारा इस शाखा सचिवालय के सभी अधिकारियों को ‘सत्यनिष्ठा’ की शपथ दिलाई गई।
‘स्वच्छ भारत’ मिशन
इस शाखा सचिवालय के उप विधि सलाहकार और प्रभारी ने समय-समय पर कार्यालय की स्वच्छता गतिविधियों की निगरानी और जांच की है। कोविड -19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर, कार्यालय परिसर की साफ-सफाई, हाथों की सफाई, मास्क पहनना, शारीरिक दूरी आदि को आवश्यक प्राथमिकता दी गयी है।
प्रतिधारण शुल्क
शाखा सचिवालय को अपनी आबंटित निधि में से, तमिलनाडु के जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के स्थायी सरकारी काउंसेल को प्रतिधारण शुल्क के भुगतान का काम भी सौंपा गया है।
ई-ऑफिस का कार्यान्वयन
इस शाखा सचिवालय में ई-ऑफिस के कार्यान्वयन के लिए पूर्वापेक्षित प्रबंध हेतु इस कार्यालय ने एनआईसी, चेन्नै और बीएसएनएल, चेन्नै के साथ पहले ही पत्राचार आरंभ कर दिया था। शुल्क बिल सहित सभी बिलों का ई-भुगतान किया गया और संबंधित काउंसेलों को सीधे भेजा गया। इसके अलावा, आवश्यक संशोधनों को संबंधित एनआईसी कर्मियों के मार्गदर्शन में ‘लिटकेस’ सॉफ्टवेयर में शामिल किया गया है ताकि शुल्क बिलों की प्राप्तियों और उनके निपटान से संबंधित जानकारी/डाटा विधिवत अद्यतन हो सके।
आर.टी.आई.प्राप्तियां
दिनांक 1 जनवरी, 2021 से 15 दिसंबर, 2021 तक, 66 आरटीआई आवेदन (ऑनलाइन, अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों से हस्तांतरित और प्रत्यक्ष सहित) और 2 आरटीआई अपीलें प्राप्त हुई और निर्धारित समय सीमा के भीतर उनका निपटान किया गया।
2.18 शाखा सचिवालय, मुंबई
संगठन: वर्तमान में अपर सरकारी अधिवक्ता शाखा सचिवालय, मुम्बई के प्रमुख के रूप में हैं। जहां तक मुंबई शाखा सचिवालय के कार्य का संबंध है, इसमें विधिक सलाह देना, बंबई उच्च न्यायालय से संबंधित मुकदमा कार्य की देखरेख, संपूर्ण पश्चिमी क्षेत्र जिनमें महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और गोवा के अंतर्गत आने वाले अन्य अधीनस्थ न्यायालयों से संबंधित मुकदमा कार्य की देखरेख और शाखा सचिवालय का प्रशासनिक कार्य शामिल है।
शाखा सचिवालय के कार्य के सुचारू संचालन के लिए उसे अलग-अलग अनुभागों में विभाजित किया गया है अर्थात सलाह अनुभाग, विविध आरंभिक शाखा मुकदमा सहित विविध आरंभिक शाखा मुकदमा अनुभाग, माध्यस्थम, वाद, भूमि अधिग्रहण संदर्भ, कंपनी मामले और फेरा/फेमा/डीजीएफटी से संबंधित मामलों के लिए अपीलीय शाखा सहित आरंभिक अनुभाग तथा दंड विधि से संबंधित मामलों के लिए अपीलीय शाखा मुकदमा अनुभाग। इस शाखा सचिवालय में प्रत्येक अनुभाग के प्रमुख एक वरिष्ठ अधिकारी हैं और उनकी सहायता अन्य अधिकारी करते हैं।
कृत्य और कर्तव्य:: विधि और न्याय मंत्रालय, विधि कार्य विभाग, शाखा सचिवालय, मुंबई भारत सरकार के विभिन्न विभागों/मंत्रालयों से निर्देश प्राप्त होने पर विभिन्न विधिक मामलों पर विधिक सलाह देता है और बंबई उच्च न्यायालय, केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण, अन्य अधिकरणों और संपूर्ण पश्चिमी क्षेत्र के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में केंद्रीय सरकार के मुकदमा कार्य का संचालन करता है। यह संपूर्ण कार्य प्रभारी/अपर सरकारी अधिवक्ता के मार्ग-निर्देशन में इस शाखा सचिवालय के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। शाखा सचिवालय को हमेशा माननीय विधि सचिव से मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है।
विधिक सलाह: केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों से विधिक सलाह के लिए प्राप्त निर्देशों की सबसे पहले अधीक्षक (विधि) द्वारा जांच की जाती है और तत्पश्चात उन्हें अपर सरकारी अधिवक्ता / प्रभारी अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है जो इन मामलों को कार्य के वितरण/आबंटन के अनुसार चिह्नित करते हैं। यदि जरूरी हुआ तो, सलाह के मामले भारत के अपर महासालिसिटर की विशेषज्ञ राय प्राप्त करने के लिए भी भेजे जाते हैं।
जहां तक चालू वर्ष का संबंध है, इस शाखा सचिवालय को सलाह के लिए संदर्भ के तौर पर 2992 मामले प्राप्त हुए हैं और शाखा सचिवालय ने 2992 मामलों का निपटान कर दिया है।
मुकदमा: इस शाखा सचिवालय के मुकदमा कार्य की देख-रेख्र अपर सरकारी अधिवक्ता/ प्रभारी और अन्य अधिकारियों द्वारा की जाती है जो बंबई उच्च न्यायालय में भारत सरकार द्वारा या उसके विरूद्ध दायर मुकदमों की देखरेख करने के काम और कर्त्तव्यों के निर्वहन करने में उनकी मदद करते हैं। इसके साथ ही, इस शाखा सचिवालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों में मुकदमा कार्य की देखरेख भी की जाती है । जहां भी आवश्यक होता है, मुकदमा कार्य का संचालन बम्बई उच्च न्यायालय के लिए उसकी साधारण प्रारंभिक सिविल अधिकारिता, अपीलीय अधिकारिता और दांडिक अधिकारिता में भारत सरकार के पैनल पर रखे गये अधिवक्ताओं/ नियुक्त काउंसेलों और विभिन्न न्यायालयों के समक्ष उपसंजात होने के लिए विभिन्न पैनलों पर रखे गये अन्य काउंसेलों के माध्यम से किया जाता है।
जहां तक चालु वर्ष का संबंध है, इस शाखा सचिवालय में विभिन्न मुकदमा अनुभागों में लगभग 1797 मामले प्राप्त हुए हैं। भारत सरकार के हितों की रक्षा करने के लिए विभिन्न केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों/विभागों के माध्यम से काउंसेल नियुक्त किये गये और माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष मुकदमों के लगभग 1316 मामले निपटाए गये हैं और 481 मामले लंबित हैं।
प्रशासन: शाखा सचिवालय, मुम्बई के प्रशासन के प्रमुख प्रभारी/ अपर सरकारी अधिवक्ता हैं। शाखा सचिवालय के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक मामलों की देखरेख हेतु उनकी सहायता के लिए आहरण एवं संवितरण अधिकारी, अनुभाग अधिकारी और सहायक अनुभाग अधिकारी है।
राजभाषा: इस शाखा सचिवालय के प्रभारी अधिकारी अपर सरकारी अधिवक्ता ‘विभागीय राजभाषा अधिकारी’ के रूप में भी कार्य करते हैं और उनके द्वारा नामित अन्य अधिकारी शाखा सचिवालय में राजभाषा की उन्नति और अधिकाधिक प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए कार्य करते हैं। इस शाखा सचिवालय में राजभाषा समिति का गठन किया गया है। यह समिति प्रभारी को आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005: अपर सरकारी अधिवक्ता को अपीलीय प्राधिकारी, सहायक विधि सलाहकार को सीपीआईओ और एक अधीक्षक को सीएपीआईओ के रूप में पद नामित किया गया है। इस वर्ष इस शाखा सचिवालय को 29 आवेदन और 08 अपीलें प्राप्त हुईं। इन सभी आरटीआई आवेदनों और अपीलों को निर्धारित समय सीमा के भीतर निपटाया गया है।
लंबित मामलों का निपटान: विशेष अभियान के अंतर्गत पुरानी फाइलों का निपटान करने के लिए इस शाखा सचिवालय ने 8133 अनावश्यक फाइलों का निस्तारण किया।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर जागरूकता कार्यक्रम: मुंबई शाखा सचिवालय द्वारा दिनांक 09.12.2021 को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। उक्त कार्यशाला की अध्यक्षता श्रीमती नीता मसुरकर, वरिष्ठ पैनल परामर्शदाता समूह-I ने की, जिसमें सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।
आज़ादी का अमृत महोत्सव:भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय के निर्देशों की अनुपालना में शाखा सचिवालय, मुंबई ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया। विधि और न्याय मंत्रालय को आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में 8 नवंबर, 2021 से 14 नवंबर, 2021 तक प्रतिष्ठित / प्रभावशाली कार्यक्रम आयोजित करने का काम सौंपा गया था। तदनुसार, इस शाखा सचिवालय ने उक्त अवधि के दौरान संविधान की प्रस्तावना और समूह चर्चा का वाचन, मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों पर व्याख्यान, आरटीआई अधिनियम का महत्व, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों के मुकदमे पर चर्चा और वंचित लोगों को न्याय / कानूनी सहायता तक पहुंच पर संगोष्ठी / कार्यशाला जैसे विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया।
2.19 शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से संबंधित गतिविधियों में भागीदारी
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक स्थायी अंतर-सरकारी बहुपक्षीय संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई, चीन में चीन, किर्गिजस्तान, कजाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के नेताओं द्वारा की गई थी। भारत और पाकिस्तान 8-9 जून, 2017 के दौरान अस्ताना में एससीओ के राज्य परिषद के प्रमुखों की ऐतिहासिक बैठक में पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल हुए।
एससीओ के मुख्य लक्ष्य इस प्रकार हैं: सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और मिलनसारिता को मजबूत करना; राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में उनके प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना; क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयास करना; और एक लोकतांत्रिक, निष्पक्ष और तर्कसंगत नई अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की ओर अग्रसर होना।
एससीओ के चार पर्यवेक्षक राज्य हैं अर्थात् अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया। इसके अलावा, एससीओ के छह संवाद साझेदार हैं, अजरबाईजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका।
विधि कार्य विभाग हाल के दिनों में एससीओ के न्याय मंत्रियों के सत्रों में विभिन्न स्तरों पर भाग लेता रहा है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के न्याय मंत्रियों की आठवीं बैठक की मेजबानी 6 अगस्त, 2021 को भारत ने की थी और इसमें श्री किरेन रीजीजू, माननीय विधि और न्याय मंत्री और प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, माननीय विधि और न्याय राज्य मंत्री ने भाग लिया था। भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिज गणराज्य, पाकिस्तान, रशियन फेडरेशन, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के विधि और न्याय मंत्रियों ने इस बैठक में भाग लिया।
एससीओ के बहुपक्षीय ढांचे के भीतर चर्चा के विभिन्न मंचों के भाग के रूप में, एससीओ सदस्य देशों के प्रोसिक्यूटर जनरल की बैठक हर साल रोटेशन द्वारा आयोजित की जाती है। मंच का उपयोग, अन्य बातों के साथ-साथ, एससीओ सदस्य देशों द्वारा एससीओ सदस्य देशों के प्रोसिक्यूटरों के कार्यालय में अनुभवों का आदान-प्रदान करने भ्रष्टाचार से निपटने और उसके निवारण के लिए आधुनिक प्रैक्टिस और प्रभावी तंत्र के लिए किया जाता है। विगत में, पूर्ण सदस्य बनने के बाद, भारत ने 2017-2019 के दौरान प्रोसिक्यूटर जनरल की 15वीं-18वीं बैठकों में भाग लिया है।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के प्रोसिक्यूटर जनरल की 19वीं बैठक की मेजबानी विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 29 अक्टूबर, 2021 को की गई थी और इसकी अध्यक्षता भारत के प्रबुद्ध सॉलिसिटर जनरल, श्री तुषार मेहता द्वारा की गई।
2.20 आयकर अपीलीय अधिकरण (आईटीएटी)
उत्पत्ति:
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 252 में यह प्रावधान है कि केंद्रीय सरकार, अधिनियम में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने और कृत्यों का निर्वहन करने के लिए उतने न्यायिक सदस्यों और लेखा सदस्यों से, जितने वह ठीक समझता है, एक अपीलीय अधिकरण का गठन करेगी । पूर्व भारतीय आयकर अधिनियम, 1922 में अंतर्विष्ट ऐसे ही प्रावधानों के अनुसरण में दिनांक 25 जनवरी, 1941 को आयकर अपीलीय अधिकरण की स्थापना की गई थी।
पीठों की संख्या:
वर्तमान में गठित अधिकरण में 63 पीठें शामिल हैं। यह 63 पीठें देश के 30 स्टेशनों (02 सर्किट पीठ सहित) में फैली हुई है, जिसके सदस्यों की वर्तमान स्वीकृत पदों की संख्या 126 है जिसमें एक (01) अध्यक्ष और दस (10) जोनल उपाध्यक्ष शामिल हैं।
शक्तियां और कृत्य:
आयकर अधिनियम के अधीन गठित आयकर अपीलीय अधिकरण प्रत्यक्ष कर के सभी मामलों में द्वितीय अपीलों सहित प्रशासनिक आयुक्तों के पुनरीक्षण आदेशों के विरूद्ध अपीलों के साथ-साथ आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 छ या 12क के अधीन पंजीकरण मना करने के आदेश का निपटान करता है। अपीलीय अधिकरण काला धन (गुप्त विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 के सभी मामलों में द्वितीय अपीलों सहित काला धन (गुप्त विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 के अधीन मुख्य आयुक्त/आयुक्त द्वारा पारित किसी पुनरीक्षण आदेश का भी निपटान करता है।
आयकर अपीलीय अधिकरण की शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का निर्वहन अधिकरण के अध्यक्ष द्वारा इसके सदस्यों में से गठित की गई न्यायपीठों द्वारा किया जाता है। सामान्यत: एक न्यायपीठ में एक न्यायिक सदस्य और एक लेखा सदस्य होता है। तथापि, उपयुक्त मामलों में अध्यक्ष के निर्णय से, पीठ में दो या उससे अधिक सदस्य शामिल हो सकते हैं। अध्यक्ष या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया गया अधिकरण का कोई अन्य सदस्य एकल रूप में बैठकर किसी मामले को निपटा सकेगा जो ऐसे न्यायपीठ को आबंटित किया गया है जिसका वह सदस्य है और जो ऐसे निर्धारिती से संबंधित है जिस मामले में निर्धारण अधिकारी द्वारा यथासंगणित कुल आय पचास लाख रूपये से अधिक नहीं है और अध्यक्ष, आयकर अधिनियम, 1961 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी विशिष्ट मामले के निपटारे के लिए तीन या इससे अधिक सदस्यों का विशेष न्यायपीठ गठित कर सकेगा, जिसमें आवश्यक रूप से एक न्यायिक सदस्य और एक लेखा सदस्य होगा।
प्रक्रिया और नियम:
अपीलीय अधिकरण को उन सभी विषयों में जो उसकी शक्तियों के प्रयोग और कृत्यों के निवर्हन से उत्पन्न होते हैं, जिसके अंतर्गत वे संस्थान भी हैं जहां न्यायपीठ अपनी बैठक करेंगे, स्वयं की प्रक्रिया और अपने न्यायपीठों की प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति प्राप्त है।
तदनुसार, अपीलीय अधिकरण ने अपने नियम बनाए हैं जिन्हें आयकर (अपीलीय अधिकरण) नियम, 1963 कहा जाता है। उक्त नियम अपीलीय अधिकरण के समक्ष लंबित सभी मामलों के शीर्घ निपटारे के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं।
यह अपीलीय अधिकरण न केवल आयकर से संबंधित मामलों में अपितु धन-कर, उपहार-कर आदि जैसे कराधान के सभी मामलों में अंतिम तथ्यान्वेषण-प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है। अपीलीय अधिकरण में दक्ष कार्मिक हैं जो अपने पूरे सामर्थ्य से अपने कृत्यों का निर्वहन करते हैं और कर-दाता और राजस्व के बीच बिना किसी भय के निष्पक्ष रूप से न्याय के पलड़े को संतुलित रखते हैं।
जिन मामलों का निपटारा अपीलीय अधिकरण करता है, वे अत्यंत महत्व के होते हैं और उनमें करोड़ों रुपयों का राजस्व शामिल होता है। अधिकरण को विधि और तथ्य के जटिल प्रश्नों का विनिश्चय करने का दायित्वपूर्ण कार्य सौंपा गया है। न्यायिक और लेखा सदस्य, दोनों की उपस्थिति इस बात को सुनिश्चित करती है कि उनके विचाराधीन मामलों में विधि और तथ्यों के प्रश्नों की समुचित रुप से जांच की गई है और उसमें कानूनी पहलू के साथ-साथ लेखा की दृष्टि से भी पूरा-पूरा ध्यान दिया गया है। यह अपीलीय अधिकरण अपील के दोनों पक्षकारों के प्रतिनिधियों को अपने समक्ष अपील करने की अनुमति देता है और कोई आदेश पारित करने से पूर्व अनिवार्यत: उनकी सुनवाई करता है। सदस्य पक्षकारों की सुनवाई करते हैं, अभिलेख पर साक्ष्य का अवलोकन करते हैं, उन पर अपने टिप्पण लिखते हैं, न्यायालय में उद्धृत नजीरों को निर्दिष्ट करते हुए आपस में परामर्श करते हैं और फिर अंतिम आदेश पारित करते हैं। यह प्रक्रिया है जो यह सुनिश्चित करता है कि तथ्य और विधि के प्रश्न समुचित रुप से और न्यायिकत: विनिश्चित किए जाते हैं जो पक्षकारों के लिए अपने आप में ही एक गारंटी है और अधिकरण द्वारा निकाले गए निष्कर्ष निष्पक्ष और निर्दोष पये गये हैं।
लंबित अपीलें:
वित्त वर्ष 2021 के प्रारंभ में अर्थात दिनांक 01.01.2021 को लंबित अपीलों की संख्या 79754 थी और दिनांक 31 दिसम्बर, 2021 को आयकर अपीलीय अधिकरण में लंबित अपीलों की संख्या 54315 थी।
निम्नलिखित सारणी से यह देखा जा सकता है कि लंबन को कम करने की वचनबद्धता के उत्साहजनक परिणाम रहे हैं :-
वर्ष(अप्रैल से मार्च) | दायर | निपटान | वर्ष के अंत में लम्बित अपीलों की संख्या |
---|---|---|---|
2014-2015 | 45089 | 30494 | 103238 |
2015-2016 | 39743 | 51010 | 91971 |
2016-2017 | 48800 | 48385 | 92386 |
2017-2018 | 50222 | 49791 | 92817 |
2018-2019 | 51154 | 51766 | 92205 |
2019-2020 | 45842 | 50031 | 88016 |
2020-2021 | 9515 | 30971 | 66560 |
2021-2022(अप्रैल, 2021 से दिसम्बर, 2021 तक) | 12122 | 24367 | 54315 |
लंबित मामलों की संख्या कम करने के लिए किए गए प्रयास:
सभी न्यायपीठों को आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं कि वे आयकर अपीलीय अधिकरण, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के विनिश्चयों के अंतर्गत आने वाले मामलों की जांच और उनकी पहचान करें तथा प्राथमिकता के आधार पर उन्हें पोस्ट करें। इनमें समूह और छोटे मामले भी शामिल हैं। बार के सदस्यों को आउट आफ टर्न पोस्टिंग के लिए ऐसे समूह के मामलों का आयकर अपीलीय अधिकरण के ध्यान में लाने हेतु अनुरोध किया गया है। इसके अलावा, प्रशासनिक आयुक्तों द्वारा धारा 263 के अधीन तलाशी और जब्ती मामलों से संबंधित अपीलों तथा अपीलों के विरूद्ध निपटान को प्राथमिकता दी जा रही है। इसी प्रकार, धारा 12क के अधीन धर्मार्थ संस्थाओं के पंजीकरण अस्वीकार करने और धारा 80छ के अधीन मान्यता स्वीकार न करने पर भी प्राथमिकता से कार्रवाई की गई। जब भी अधिकरण से संपर्क किया जाता है वरिष्ठ नागरिकों द्वारा की गई अपीलों पर भी प्राथमिकता से सुनवाई की जाती है। इसके अलावा, वित्त अधिनियम, 2015 द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 में किए गए संशोधन के अनुसार 50 लाख तक की आय से संबंधित अपील की सुनवाई एकल-सदस्यीय पीठ द्वारा की जा सकती है। उक्त संशोधन से मामलों के त्वरित निष्पादन में और अधिक मदद मिली है। एक सदस्य वाले मामलों के लंबन के आंकड़े निम्नानुसार हैं:-
माह | कुल लम्बित मामले |
---|---|
जनवरी,2021 | 12068 |
फरवरी,2021 | 9844 |
मार्च,2021 | 8699 |
अप्रैल,2021 | 7518 |
मई,2021 | 7187 |
जून,2021 | 6739 |
जुलाई,2021 | 6352 |
अगस्त,2021 | 6089 |
सितम्बर,2021 | 5911 |
अक्टूबर,2021 | 5516 |
नवम्बर,2021 | 5276 |
दिसम्बर,2021 | 5221 |
धन कर के मामलों के लंबन के आंकड़े निम्नानुसार हैं:-
माह | कुल लम्बित मामले |
---|---|
जनवरी,2021 | 283 |
फरवरी,2021 | 272 |
मार्च,2021 | 236 |
अप्रैल,2021 | 227 |
मई,2021 | 225 |
जून,2021 | 233 |
जुलाई,2021 | 231 |
अगस्त,2021 | 229 |
सितम्बर,2021 | 221 |
अक्टूबर,2021 | 223 |
नवम्बर,2021 | 238 |
दिसम्बर,2021 | 229 |
63 पीठों के संचालन के लिए सदस्यों के लिए स्वीकृत कुल 126 पदों में से केवल 90 पद भरे गए हैं। 90 में से, 21 सदस्य हाल ही में दिसंबर, 2021 में ट्रिब्यूनल में शामिल हुए हैं। ट्रिब्यूनल में रिक्तियों की बाधाओं और कोविड -19 महामारी की वजह से चल रहे हालात के बावजूद, ट्रिब्यूनल ने गंभीर और ईमानदार प्रयास किए हैं ताकि कर वादियों को निष्पक्ष, आसान और त्वरित न्याय प्राप्त हो सके। इस उद्देश्य के लिए ट्रिब्यूनल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई शुरू की.है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट रूम की सुनवाई आईटीएटी के मौजूदा कर्मचारियों द्वारा तैयार की गई थी और इसके लिए किसी बाहरी विशेषज्ञ एजेंसी का उपयोग नहीं किया गया था। वर्चुअल कोर्ट सुनवाई की प्रणाली के संतोषजनक परिणाम सामने आए हैं। 'आज़ादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के एक भाग के रूप में, एक सप्ताह के लिए अर्थात 08.11.2021 से 12.11.2021 तक, ट्रिब्यूनल की 75 पीठों ने काम किया, और 1454 मामलों की सुनवाई हुई।
डिजिटलीकरण:
वर्ष 2000 की शुरुआत में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई और हाल के वर्षों में, ट्रिब्यूनल की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में कई नवीन परियोजनाओं को लागू करने के साथ इस प्रक्रिया ने बहुत गति प्राप्त की है। इन वर्षों में, ट्रिब्यूनल द्वारा अपने आदर्श वाक्य "निष्पक्ष सुलभ सतवर न्याय" को पूरा करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं को शुरू और कार्यान्वित किया गया है। ऐसी परियोजनाओं का विवरण इस प्रकार है:-
(क) आई.टी.ए.टी. ऑनलाइन परियोजना
यह परियोजना अधिकरण में न्यायिक प्रशासन की प्रक्रिया को स्वचालित बनाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है, जिसमें अपीलों और आवेदनों की प्राप्ति और पंजीकरण से लेकर उनका निपटान होने तक की स्थिति तथा अधिकरण के आदेशों को अपलोड किया जाता है। यह परियोजना अधिकरण के सभी पीठों में चरणबद्ध रूप से कार्यान्वित की गई है। आई.टी.ए.टी. ऑनलाइन एक वेब आधारित एप्लीकेशन है, जिसे कभी भी कहीं से भी प्रयोग किया जा सकता है। अब आयकर अपीलीय अधिकरण के सभी पीठ आई.टी.ए.टी. ऑनलाइन डाटाबेस से जोड़े जा चुके हैं तथा पंजीकरण, डाटा अपडेशन, अधिकरण के आदेश अपलोड करना आदि गतिविधियां वेब अनुप्रयोग द्वारा की जा रही हैं । इस परियोजना का वेब व डाटाबेस सर्वर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र क्लाउड सर्वर में स्थापित किया गया है।
(ख) आई.टी.ए.टी. की आधिकारिक वेबसाइट
आई.टी.ए.टी. ऑनलाइन परियोजना के विस्तार के रूप में आयकर अपीलीय अधिकरण की आधिकारिक वेबसाइट 2016 में पुनर्विकसित की गई है और आम जनता को न्यायिक और सामान्य जानकारी देने के लिए चालू की गई है। इस आधिकारिक वेबसाइट को प्रयोक्ताओं के अधिक अनुकूल, सूचनाप्रद, उत्तरदायी बनाने और वेबसाइटों के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों से अधिक सुग्राही और अद्यतन बनाने के लिए इसका डिजाइन फिर से तैयार किया गया है। इसमें अधिकरण में आने वाले वादकारियों की न्यायिक सूचनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गतिशील सूचना जैसे कि वाद-सूची, संविधान, मामले की स्थिति, आदेश की खोज, निर्णयों की खोज आदि जानकारी उपलब्ध कराई गई है । इसके अलावा, वादकारियों को और आम जनता को छुट्टियों की सूची, निविदा और नीलामी, सूचनापट्ट, सूचना का अधिकार आदि स्थिर प्रकार की जानकारी भी सुलभ कराई गई है। इस वेबसाइट का व्यापक उपयोग हो रहा है और इसकी व्यापक सराहना हुई है।
(ग) डिजिटल डिसप्ले बोर्ड
आईटीएटी, दिल्ली पीठों ने नए और पर्यावरण-अनुकूल कदम के रूप में बाहरी नोटिस बोर्ड के स्थान पर डिजिटल नोटिस बोर्ड को प्रतिस्थापित किया है। मामला सूचियां, गठन, शुक्रवार सूचियां आदि डिजिटल नोटिस बोर्डों पर डिजिटल रूप में प्रदर्शित की जाती है।
(घ) मोबाइल एप्लीकेशन शुरू करना
आईटीएटी न्यायिक सूचना पोर्टल का एंड्राएड रूपांतर विकसित किया गया है और इसे अपीलार्थियों, उत्तरदाताओं के साथ-साथ कांउसेलों के लाभ के लिए जारी किया गया। अपनी सुगमता और सरल उपयोग होने के कारण यह ऐप बहुत उपयोगी है।
(ङ) बजट और व्यय निगरानी प्रणाली
आईटीएटी ने बजट की उपलब्धता और वास्तविक समय के आधार पर कुशलतापूर्वक और सटीकता से व्यय की स्थिति की जांच और समेकन हेतु इन-हाउस टैलेंट द्वारा विकसित बजटमैन नाम का ऑनलाइन ऐप लागू किया है, इस एप्लीकेशन ने मुख्य कार्यालय को इतना सक्षम बनाया है कि वे एक बटन को दबाते ही आवधिक पर बजटीय वितरण जनरेट कर सकते हैं।
(च) सीसीटीवी कैमरे
भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार और विधि कार्य विभाग, विधि और न्याय मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के विभिन्न पीठों के अन्य महत्वपूर्ण प्रवेश संस्थानों पर और न्यायालयों के कमरों में ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग सुविधा के साथ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। वर्तमान में, आईटीएटी की 26 पीठों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सीसीटीवी कैमरे अच्छी स्थिति में काम कर रहे हैं और रिकॉर्डिंग नियमित रूप से की जाती है और इन बेंचों से रिपोर्ट प्राप्त हुई है। 04 और बेंचों पर अधिप्राप्ति/स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
(छ) ई-कोर्ट
ई-कोर्ट परियोजना का उद्देश्य गैर-कार्यात्मक पीठों को कार्यात्मक पीठों से जोड़ना और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायिक कार्यवाही का संचालन करना है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की सभी पीठों में ई-कोर्ट का बुनियादी ढांचा स्थापित किया गया है। आईटीएटी राजकोट, गुवाहाटी, रांची और पटना की पीठों में सुनवाई ई-कोर्ट के माध्यम से की जाती है।
(ज) इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन
आईटीएटी हमेशा से सचेत रहा है कि बेहतर कम्प्यूटरीकरण के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की जरूरत है। आदेशों के डिक्टेशन में सहायता के लिए आईटीएटी के सदस्यों को भी नवीनतम आईटी हार्डवेयर और डिक्टेशन सॉफ्टवेयर से लैस किया गया है।
वर्ष 2021 में हाल की उपलब्धियां
(क) ई-द्वार (आईटीएटी ई-फाइलिंग पोर्टल) का शुभारंभ
ई-द्वार, आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण का ई- फाइलिंग पोर्टल शुरू किया गया है ताकि अपीलकर्ता अपने घर से अपनी अपीलें, प्रत्योक्षेप और आवेदन दाखिल कर सकें। पोर्टल को अपील/ प्रत्याक्षेप के ज्ञापन के संशोधित रूपों के अनुसार विकसित किया गया है। इसके लॉन्च होने के बाद से , आयकर अपीलीय अधिकरण की विभिन्न पीठों के समक्ष 600 से अधिक अपील, प्रत्याक्षेप और आवेदन अपीलकर्ताओं द्वारा ई-द्वार के माध्यम से दायर किए गए हैं।
(ख) दैनिक आदेशों का प्रकाशन
न्यायिक प्रशासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के एक बड़े कदम के रूप में, आईटीएटी ने आधिकारिक वेबसाइट पर ट्रिब्यूनल के विभिन्न पीठों द्वारा पारित दैनिक आदेशों को प्रकाशित करना शुरू कर दिया है। सभी सदस्यों ने जुडिसिस सॉफ्टवेयर (एक इन-हाउस आंतरिक न्यायिक आवेदन) द्वारा उत्पन्न दैनिक आदेश पत्र पर हस्ताक्षर करना शुरू कर दिया है। ये दैनिक आदेश आईटीएटी न्यायिक सूचना पोर्टल पर केस विवरण पृष्ठ में दिखाई देते हैं।
(ग) पेपरलेस कोर्ट
माननीय अध्यक्ष, आईटीएटी के मार्गदर्शन में, एक पायलट परियोजना के रूप में, पेपरलेस वातावरण में न्यायालयी कार्यवाही का परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है और आईटीएटी, दिल्ली में अध्यक्ष के न्यायालय कक्ष को पेपरलेस कोर्ट के रूप में अपग्रेड किया गया है।
(घ) लिम्ब्स के साथ एपीआई लिंकेज
मैनुअल डाटा प्रविष्टि को कम करने के उद्देश्य से, लिम्ब्स पोर्टल विभिन्न न्यायालयों/ट्रिब्यूनल के साथ एपीआई के माध्यम से एलआईएमबीएस पोर्टल को एकीकृत किया गया है। हाल ही में, लिम्ब्स पोर्टल को आईटीएटी से जोड़ा गया है जो एप्लीकेशन के बीच निर्बाध डाटा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा और आईटीएटी में मामलों से संबंधित लिम्ब्स पोर्टल पर रिकॉर्ड के स्वत: अद्यतन में मदद करेगा।
वर्ष 2021 में अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ और गतिविधियाँ
(क) आईटीएटी 2021 का राष्ट्रीय सम्मेलन 27 और 28 फरवरी, 2021 को केवाडिया जिला, नर्मदा, गुजरात में आयोजित किया गया था ।
(ख) "आजादी का अमृत महोत्सव" के उत्सव के रूप में आईटीएटी के विभिन्न पीठों के विभिन्न प्रतिष्ठित / प्रभावशाली कार्यक्रम जैसे स्वतंत्रता संग्राम के विषय पर निबंध प्रतियोगिता और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, बार एसोसिएशन के लिए वेबिनार, 'एकेएएम' के आधार पर आईटीएटी के सभी पीठों के डीआर और कर्मचारी, 'स्वतंत्रता संग्राम पर, 75 पर विचार, 75 पर कार्रवाई' क्षेत्रीय उपाध्यक्षों की अंतर-व्यक्तिगत चर्चा आईटीएटी की सभी पीठों में क्षेत्रीय उपाध्यक्षों के '75' संकल्प, देशभक्ति गीत/कविता का गायन/पाठ, राष्ट्रगान गायन का आयोजन किया गया। इसके अलावा, एक सप्ताह के लिए अर्थात 18.11.2021 से 22.11.2021 तक, अधिकरण की 75 पीठों ने समारोह का आयोजन किया।
(ग) पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की सभी पीठों में "स्वच्छता पखवाड़ा" का आयोजन किया गया। आईटीएटी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को 02.10.2021 को "स्वच्छता शपथ" दिलाई गई।
(घ) 'राष्ट्रीय एकता दिवस', दिनांक 31.10.2021 को आईटीएटी की सभी पीठों में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया।
(ङ) 'संविधान दिवस', दिनांक 26.11.2021 को आईटीएटी की सभी पीठों में संविधान दिवस मनाया गया।
(च) आईटीएटी की सभी पीठों में दिनांक 09.12.2021 को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
आईटीएटी न्यायपीठ परिसर
निम्नलिखित स्थानों पर आईटीएटी अपने स्वयं के भवन से कार्य कर रहा है:-
(i) जयपुर
(ii) बंगलुरू
(iii) कटक
निम्नलिखित स्थानों पर, कार्यालय-सह-आवासीय भवनों के निर्माण के लिए आईटीएटी द्वारा भू-खंड खरीदे गए हैं: -
(i) पुणे
(ii) लखनऊ
(iii) गुवाहाटी
(iv) कोलकाता
(v) अहमदाबाद
भूमि भवन की स्थिति का विवरण:-
(i) पुणे: अकुर्डी में प्रशिक्षण केंद्र, गेस्ट हाउस और स्टाफ क्वार्टरों के निर्माण के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया है और निर्माण तथा प्रारंभिक रेखांकन और नक्शे पर व्यय का अनुमान सीपीडब्ल्यूडी, मुम्बई से प्राप्त हो गया है।
(ii) लखनऊ: आईटीएटी, लखनऊ के कार्यालय-सह-निवास भवन का निर्माण जोरों पर है और मार्च, 2022 तक पूरा होने की संभावना है ।
(iii) गुवाहाटी: आईटीएटी ने सेंट्रल इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (सीआईडब्ल्युटीसी), भारत सरकार के उपक्रम संगठन, शिपिंग मंत्रालय से 4,03,00,000/-. रुपये की धनराशि से फैंसी बाजार, उज़ानबाजार, गुवाहाटी में 1 बीघा, 3 कठ्ठा, 1 लेसा जमीन खरीदी है। संपत्ति के कब्जे की सुपुर्दगी के मामले को शिपिंग मंत्रालय के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
(iv) कोलकाता: डब्लूबीएचआईडीसीओ लिमिटेड ने 16.25 करोड़ रु० की लागत से पश्चिम बंगाल आवास आधारिक संरचना विकास निगम लि. (डब्लूएचआईडीसीओ) द्वारा विकसित वित्तीय और विधिक हब में 1.25 एकड़ भूमि दिनांक 19.09.2019 के पत्र के माध्यम से पट्टे पर आबंटित की है। आईटीएटी, कोलकाता में कार्यालय भवन और आवासीय परिसर के निर्माण के लिए सीपीडब्ल्युडी, कोलकाता से 66.39 करोड़ का प्रारंभिक अनुमान प्राप्त हुआ है।
(v) अहमदाबाद: मंत्रालय ने आईटीएटी, अहमदाबाद में भूमि की खरीद के लिए अनुमति और अनुमोदन प्रदान किया। तदनुसार, गुजरात सरकार द्वारा 76,46,16,869/- रुपए की लागत से जोजे सोला, ताल घाटलोडिया के एफपी नंबर 60, टीपी नंबर 694 के संबंध में आईटीएटी, अहमदाबाद पीठ, अहमदाबाद भूमि के लिए कार्यालय भवन/ स्टाफ क्वार्टर के निर्माण के लिए 11,559 वर्ग मीटर की भूमि आवंटित की गई है और राज्य भूमि रिकॉर्ड में हस्तांतरित/प्रविष्ट भूमि को आईटीएटी, अहमदाबाद का नाम दिया गया है। आईटीएटी, अहमदाबाद के कार्यालय भवन के निर्माण के लिए सीपीडब्ल्यूडी, अहमदाबाद से अनुमान की प्रतीक्षा है।
(vi) दिल्ली: उपरोक्त के अलावा, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, नौरोजी नगर, नई दिल्ली में टॉवर 'बी' में एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा आईटीएटी, दिल्ली बेंच, नई दिल्ली के कार्यालय भवन का निर्माण जोरों पर है और दिसंबर, 2022 तक इसके पूरा होने की संभावना है।
(vii) रायपुर: नया रायपुर (अटल नगर), छत्तीसगढ़ में नवनिर्मित जीपीओए भवन में 8730 वर्ग फुट क्षेत्र का एक कार्यालय स्थान आवास और शहरी मामले मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा आईटीएटी, रायपुर बेंच, रायपुर को आवंटित किया गया है। नए आवंटित कार्यालय स्थान का विभाजन कार्य पूरा हो गया है और कार्यालय स्थल के अधिकृत क्षेत्र को आईटीएटी को सौंप दिया गया है। कार्यालय की जगह को जेम के माध्यम से फर्नीचर और फिक्स्चर की खरीद से सुसज्जित किया जा रहा है।
हितकारी निधि:
आयकर अपीलीय अधिकरण में एक हितकारी निधि बनाई गई है, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारिवृंद के स्वैच्छिक अभिदाय से राशि संगृहीत की गई है। अध्यक्ष, आयकर अपीलीय अधिकरण इस निधि के संरक्षक हैं। अधिकारी और कर्मचारि वृंद इस निधि में स्वैच्छिक रूप से अभिदाय करते हैं तथा निधि के नियमों के अधीन बनाई गई समिति की सिफारिश पर ऐसे कर्मचारियों को, जिन्हें चिकित्सा और अन्य आपात स्थितियों में मदद की जरूरत होती है, आर्थिक सहायता दी जाती है।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005:
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा आरटीआई अधिनियम 2005 पहले ही लागू किया जा चुका है। आईटीएटी के सभी 28 शाखाओं (63 पीठ) सीआईसी, दिल्ली की वेबसाइट पर पंजीकृत हैं। 25 शाखाओं ने वर्ष 2020-21 के लिए आरटीआई वार्षिक रिटर्न जमा कर दिया है।
राजभाषा नीति का कार्यान्वयन:
राजभाषा अधिनियम, 1963 के प्रावधानों के अनुसार, आईटीएटी की पीठों में हिंदी के प्रगतिशील उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
राजभाषा विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्धारित राजभाषा नीति के कार्यान्वयन पर निरंतर निगरानी रखने और आवश्यकता पड़ने पर उनका मार्गदर्शन करने की दृष्टि से आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की सभी पीठों में राजभाषा कार्यान्वयन समिति (ओएलआईसी) का गठन किया गया है।
हिंदी पत्राचार और राजभाषा नीतियों के कार्यान्वयन के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति की निगरानी संबंधित पीठ की राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा की जाती है। राजभाषा विभाग, भारत सरकार की हिंदी शिक्षण योजना के अधीन पर्याप्त संख्या मे कर्मचारियों को नामित करके उन्हें हिंदी/हिंदी टंकण/हिंदी आशुलिपि में प्रशिक्षण दिलाया जाता है।
न्यायपीठों में राजभाषा नीति के उचित रूप से कार्यान्वयन के लिए और हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने तथा हिंदी में काम करने में अधिकारियों/कर्मचारियों की झिझक दूर करने के लिए हिंदी कार्यशालाएं भी आयोजित की जाती हैं।
इस वर्ष सभी न्यायपीठों में हिंदी की पुस्तकें खरीदनें के लिए पर्याप्त निधि मुहैया कराई गई है। राजभाषा विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्यों के अनुसार आयकर अपीलीय अधिकरण के सभी कार्यालयों में राजभाषा नीति के अनुसार हिंदी पुस्तकों (अर्थात कुल पुस्तकालय अनुदान का 50 प्रतिशत) की खरीद पर व्यय के लिए निदेश दिए गए हैं।
सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी के प्रयोग के संबंध में जागरूकता लाने के लिए तथा इसके उत्तरोतर प्रयोग की गति को बढ़ाने के लिए सभी पीठों में हिंदी दिवस तथा हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया गया।
आयकर अपीलीय अधिकरण, मुम्बई में एक वार्षिक जर्नल ‘सृजन’ का प्रकाशन किया जाता है। इसमें आयकर अपीलीय अधिकरण के विभिन्न पीठों के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा लिखित लेख, कहानी, कविता और यात्रावृत इत्यादि के अतिरिक्त हिंदी पखवाड़ा कार्यक्रम, हिंदी कार्यशाला के चित्र भी प्रकाशित किए जाते हैं।
दिनांक 09.04.2021 को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण, दिल्ली पीठ, नई दिल्ली में हिंदी के प्रगतिशील उपयोग की स्थिति का माननीय संसदीय राजभाषा समिति की पहली उप-समिति द्वारा निरीक्षण किया गया।
2.21 विधिक सूचना प्रबंध और ब्रीफिंग प्रणाली (लिम्ब्स)
लिम्ब्स की पृष्ठभूमि: विधिक सूचना प्रबंध और ब्रीफिंग प्रणाली (लिम्ब्स) सभी न्यायलयी मामलों की सक्रिय निगरानी के लिए एक वेब आधारित एप्लीकेशन है। जहां भारत संघ एक पक्षकार है। आरंभ में फरवरी, 2016 में लिम्ब्स का संचालन किया गया और तब से यह एप्लीकेशन विधि कार्य विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय (नोडल मंत्रालय के रूप में) के निरीक्षण में कार्य कर रहा है। यह एक नवीन और आसान ऑनलाइन उपकरण है जो सभी पणधारियों अर्थात् सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों, नोडल अधिकारियो, मंत्रालयों के उच्च अधिकारियों, विधि कार्य विभाग और अधिवक्ताओं के लिए 24X7 उपलब्ध है।
लिम्ब्स का संस्करण-2 लिम्बस का अपग्रेड संस्करण है और इसे वर्ष 2020 में एनआईसी के सहयोग से लॉन्च किया गया था। उपयोगकर्ता मंत्रालयों/विभाग के लिए यह एक डेशबोर्ड प्रणाली है जिस पर वे अपने मामलों को तत्काल देख सकते हैं। यह संस्करण प्रणाली की सुरक्षा को बढ़ाने और उसकी दक्षता में सुधार करने के लिए पीएचपी के समन्वयकर्ता ढांचे का प्रयोग करते हुए ओपन सोर्स टेक्नॉलजी के उपयोग के साथ सुरक्षा प्रदान करता है। मंत्रालयों/विभागों के संयुक्त प्रयासों से इस एप्लीकेशन में 15948 पंजीकृत उपयोगकर्ताओं द्वारा 7.87 लाख न्यायालयी मामलों (संग्रह मामलों सहित) को कैप्चर किया है जिसने भारत संघ से संबंधित मुकदमों का एकल एकीकृत डाटाबेस तैयार किया है। इस एप्लीकेशन में 3281 न्यायालयों और 20627 अधिवक्ताओं का विवरण दर्ज किया गया है।
चूंकि आवेदन भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों में लागू किया गया है। विधि कार्य विभाग ने एक विशाल उपयोगकर्ता आधार को ध्यान में रखते हुए, सभी संबंधितों द्वारा आवेदन को सुचारू रूप से अपनाने के लिए अपना समर्थन दिया है। इस दिशा में, 2020-2021 के दौरान 200 से अधिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं, जिसमें पोर्टल के अनुपालन और प्रभावी उपयोग के लिए इसकी विशेषता के प्रसार को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और सभी पदानुक्रम के अधिकारियों/अधिकारियों को शामिल किया गया है।
अधिक स्वचालित प्रणाली की ओर झुकाव और मैन्युअल डेटा प्रविष्टि प्रक्रिया को कम करने के लिए, निर्बाध डेटा हस्तांतरण और अद्यतन के लिए एपीआई के माध्यम से विभिन्न न्यायालयों और अधिकरणों के साथ लिम्बस को एकीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में, माननीय उच्चतम न्यायालयों, उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों और 17 न्यायाधिकरणों से संपर्क किया गया है। विधि कार्य विभाग ने एनआईसी और संबंधित न्यायालय/अधिकरण प्राधिकरणों के सहयोग से निम्नलिखित न्यायालयों और अधिकरणों के साथ एलआईएमबीएस को सफलतापूर्वक एकीकृत किया है:
ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म पर न्यायालय अर्थात
• उच्च न्यायालय (दिल्ली उच्च न्यायालय को छोड़कर)
• जिला एवं सत्र न्यायालय
न्यायाधिकरण:
• केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सीएटी) और इसकी पीठें
• विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल)
• नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी)
• नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी),
• नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी)
• आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी)
• दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट)
माननीय उच्चतम न्यायालय और अन्य न्यायाधिकरणों के साथ लिम्ब्स का एकीकरण प्रगति पर है।
लिम्ब्स के संस्करण - 2 की प्रमुख विशेषताएं:
डैशबोर्ड: प्रभावी निगरानी के लिए डायग्राम, चार्ट, ग्राफ़ आदि के माध्यम से दृष्यता: और एडवांस डाटा विश्लेषण के साथ डैशबोर्ड आधारित प्लेटफ़ॉर्म/ उपयोगकर्ता अपने मंत्रालय की प्रगति अर्थात दर्ज मामले की कुल संख्या, लंबित मामले, निपटाए गए मामले, अनुपालन के लिए लंबित मामले, महत्वपूर्ण मामले, अवमानना के मामले, काउंसेल वार शीर्ष 10 मामले, विषयवार लंबित मामले आदि देख सकते हैं।
न्यायालयों के साथ एकीकरण: मामलों की मैन्युअल प्रविष्टि की त्रुटियों को कम करने के लिए एपीआई के माध्यम से विभिन्न न्यायालयों/अधिकरणों की वेबसाइटों के साथ सीधा एकीकरण।
सीएनआर नंबर (ई-कोर्ट वेबसाइट में हर मामले में उत्पन्न यूनिक 16 अंकों की संख्या) की सुविधा को जोड़ा गया है। अब, उपयोगकर्ता सीएनआर नंबर का उपयोग करके अपने मामलों को खोज सकते हैं।
सलाह मॉड्यूल : इसे विभिन्न कानूनी मामलों में मंत्रालयों/विभागों द्वारा सलाह/राय लेने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू किया गया है। इस उपयोगिता को सभी हितधारकों जैसे मंत्रालयों, विधि कार्य विभाग और केंद्रीय अभिकरण अनुभाग को एकल मंच पर लाने के लिए विकसित किया गया है । इसके अलावा, मॉड्यूल एसएलपी दाखिल करने में हितधारकों को सुविधा प्रदान करेगा जो एक समयबद्ध प्रक्रिया है।
ई-ऑफिस के साथ एकीकरण : विधिक राय प्राप्त करने या एसएलपी दाखिल करने के मामलों में क्रॉस प्लेटफॉर्म की निगरानी के लिए इस पोर्टल को ई-ऑफिस के साथ एकीकृत किया गया है।
एसएमएस अलर्ट : यह प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं/नोडल अधिकारियों/ मंत्रालयों/विभागों के अन्य संबंधित अधिकारियों को महत्वपूर्ण मामलों, बड़े वित्तीय प्रभाव वाले मामलों, एसएलपी दाखिल करने आदि जैसे मामलों में एसएमएस सूचनाएं भेजने की सुविधा से भी लैस है।
माध्यस्थम मॉड्यूल: लिम्ब्स ने माध्यस्थम मामलों पर डाटा दर्ज करने के लिए एक अलग मॉड्यूल प्रदान किया है।
एएमआरसीडी मामले: वाणिज्यिक विवादों (एएमआरसीडी) मामलों के समाधान के लिए प्रशासनिक तंत्र की प्रविष्टि के लिए अलग टैब प्रदान किया गया है। एएमआरसीडी मामलों के लिए एमआईएस रिपोर्ट भी उपलब्ध हैं।
लिम्ब्स पोर्टल के माध्यम से विधि अधिकारियों, पैनल काउंसलों और अधिवक्ताओं द्वारा मामलों की निगरानी के लिए एडवोकेट मॉड्यूल और शुल्क बिलों को बढ़ाने की सुविधा प्रदान की गई है।
नए मामलों और मामलों के अद्यतनीकरण की डाटा एन्ट्री: अब उपयोगकर्ता विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से पिछली सुनवाई, अगली सुनवाई की तारीख को अपडेट कर सकते हैं और माई कोर्ट केस टैब में अनुपालन प्रविष्टि का प्रयोग करते हुए किसी मामले से संबंधित दस्तावेजों को अपलोड कर सकते हैं। साथ ही, उपयोगकर्ता अपडेशन टैब में से मामलों की सूची का प्रयोग कर के मामलों के विवरण अर्थात् सीएनआर सं., अधिवक्ता का नाम और मोबाइल सं., संक्षिप्त वृतांत इत्यादि को जोड़ या बदल सकते हैं।
मामलों की प्रगति और स्थानांतरण को जोड़ना : उपयोगकर्ता मामलों की दिन-प्रतिदिन की प्रगति को जोड़ सकते हैं तथा अन्य मंत्रालयों के नोडल अधिकारियों अथवा समरूप मंत्रालय/विभाग के अन्य उपयोगकर्ता के लिए मामलों का स्थानांतरण कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण मामले: नोडल अधिकारी के पास सचिव से अनुमोदन लेने के पश्चात मामलों को ‘महत्वपूर्ण’ के रूप में चिन्हित करने की सुविधा होती है। साथ ही, उपयोगकर्ता महत्वपूर्ण मामलों के टैब के अंतर्गत उनके मंत्रालयों/विभागों के महत्वपूर्ण मामलों को देख सकते हैं।
एमआईएस रिपोर्ट : उपयोगकर्ता सांख्यिकीय रिपोर्ट और संक्षिप्त रिपोर्ट अर्थात् मामलों की स्थिति वार संक्षेप, मामलों का श्रेणी वार संक्षेप, वित्तीय वार संक्षेप, न्यायालय वार संक्षेप, निर्णित मामला वार संक्षेप, कुल रिपोर्ट, कुल सदस्यों की सूची, संदर्भित विवाद मामले, असंदर्भित मामले, कुल माध्यस्थम मामले, कुल प्रस्तुत बिल, कुल नोडल अधिकारियों की सूची, कुल उपयोगकर्ता सूची इत्यादि को देख सकते हैं।
नोडल अधिकारी और स्थानीय प्रशासन को उनके नियंत्रण में उपयोगकर्ताओं और मामले की स्थिति को व्यवस्थित करने का अधिकार प्रदान किया गया है। अपने मंत्रालय/विभाग/उप-विभाग-स्वायत्त संगठन/सीपीएसइ अत्यादि के सभी उपयोगकर्ता को सक्रिय कर सकते हैं, उपयोगकर्ता को प्रोफाइल को बदल सकते हैं, पासवर्ड को रिसेट कर सकते हैं और उपयोगकर्ता के नाम में बदलाव कर सकते हैं।
लिम्ब्स को मुकदमा (उच्च न्यायालय) अनुभाग में भी लागू किया गया है।
2.22 लोक शिकायत (पीजी) सेल
विधि कार्य विभाग का पीजी सेल लोक शिकायतों का निपटान करता है जो ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन रूप से भी प्राप्त होती हैं l ऑनलाइन प्राप्त शिकायतों का निपटान केंद्रीकृत लोक शिकायत निपटान और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के उपयोग के माध्यम किया जाता है l सीपीजीआरएएमएस एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जो नागरिकों को ‘सेवा प्रदाता’ से संबंधित किसी विषय पर लोक प्राधिकारी के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज करने के लिए हमेशा उपलब्ध है l शिकायतों का पता लगाने के लिए यूनिक पंजीकरण सं. सृजन प्रणाली के माध्यम से इस पोर्टल को सुगम बनाया गया है l हालांकि, इस प्रकार के मामले जैसे
• किसी न्यायलय द्वारा दिए गए न्याय से संबंधित विचाराधीन मामले तथा अन्य मामले
• वैयक्तिक और पारिवारिक झगड़ें
• आरटीआई मामले
• अन्य कोई मामले जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित है और
• सुझावों का निवारण नहीं किया जाता है
इसके अलावा, ई-मेल के माध्यम से भेजी गयी शिकायतों का निपटान/निवारण नहीं किया जाएगा, और शिकायतकर्ता सीपीजीआरएएम पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं l अभी तक, वर्ष 2022 के दौरान लगभग चार हजार तीन सौ शिकायतों का निवारण किया गया l